Friday, 2 January 2015

तकते रहे हम तो अधखुली निगाहों से

मिली थी  तुमसे ज़िंदगी प्यार में हमे
छोड़ा  क्यों फिर डूबने मँझधार में हमे
तकते  रहे हम तो अधखुली निगाहों से
चले सवार  कश्ती में छोड़ धार में हमे

रेखा जोशी 

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