मिली थी तुमसे ज़िंदगी प्यार में हमे
छोड़ा क्यों फिर डूबने मँझधार में हमे
तकते रहे हम तो अधखुली निगाहों से
चले सवार कश्ती में छोड़ धार में हमे
रेखा जोशी
छोड़ा क्यों फिर डूबने मँझधार में हमे
तकते रहे हम तो अधखुली निगाहों से
चले सवार कश्ती में छोड़ धार में हमे
रेखा जोशी
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