अक्सर मै
देखा करती
हूँ ख़्वाब
खुली आँखों से
अच्छा लगता लगा कर
सुनहरे पँख
जब
आकाश में उड़ता मेरा मन
छिड़ जाते जब तार
इंद्रधनुष के
और बज उठता
अनुपम संगीत
थिरकने लगता मेरा मन
होता सृजन मेरी
कल्पनाओं का
जहाँ
मुस्कुराती कभी
या
बहाती आँसू
यह ज़िन्दगी
रेखा जोशी
देखा करती
हूँ ख़्वाब
खुली आँखों से
अच्छा लगता लगा कर
सुनहरे पँख
जब
आकाश में उड़ता मेरा मन
छिड़ जाते जब तार
इंद्रधनुष के
और बज उठता
अनुपम संगीत
थिरकने लगता मेरा मन
होता सृजन मेरी
कल्पनाओं का
जहाँ
मुस्कुराती कभी
या
बहाती आँसू
यह ज़िन्दगी
रेखा जोशी
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