अधूरे सपने अधूरी ज़िंदगी जाने कब पायें पूरी ज़िंदगी यूँ ही जिये जा रहे हम यहाँ पर है व्यर्थ ही यह गुज़री ज़िंदगी
रेखा जोशी
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