Thursday, 4 May 2017

बहती  तरंगिनी  के संग  संग  हम सभी बहे
समय  की  बहती  धारा  हमें सत्य यही कहे
पल पल बदल रही धरा बदलता रहता गगन
बदला ना  अपने  आप  को  जो थे वही रहे

रेखा जोशी

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