आधार छंद विमोहा
मापनी २१२,२१२
ज़िन्दगी आस है अनबुझी प्यास है , मर मिटे हम पिया डूबती श्वास है , फूल मुरझा गये अब न मधुमास है , दीप भी बुझ गये चाँद निश्वास है , रुक जाओ सजन रात यह खास है
रेखा जोशी
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