वो तो मुद्दत से जानता है मुझे
जानता है मुझे जानता है मुझे
जानता है मुझे पहचानता नहीं
वो तो मुद्दत से जानता है मुझे
,
रात भर करवटे हम बदलते रहे
तकिये में मुहं छुपा सिसकते रहे
नही समझे वो मेरे जज़्बात कभी
नही अपना वोह मानता है मुझे
,
वो तो मुद्दत से जानता है मुझे
जानता है मुझे जानता है मुझे
जानता है मुझे पहचानता नहीं
वो तो मुद्दत से जानता है मुझे
,
किया प्यार मिली नही मुहब्बत हमें
बीती ज़िन्दगी यूँहि तड़प तड़प के
बहारों में क्यों मिली हमें है खिज़ा
जानता है नही समझता है मुझे
,
वो तो मुद्दत से जानता है मुझे
जानता है मुझे जानता है मुझे
जानता है मुझे पहचानता नहीं
वो तो मुद्दत से जानता है मुझे
रेखा जोशी
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