Thursday 18 May 2017

जानता है मुझे पहचानता नही

वो तो  मुद्दत से जानता है मुझे
जानता है मुझे  जानता है मुझे
जानता है मुझे  पहचानता नहीं
वो  तो मुद्दत से जानता है मुझे
,
रात  भर करवटे  हम बदलते रहे
तकिये में मुहं  छुपा सिसकते रहे
नही समझे वो मेरे जज़्बात कभी
नही अपना   वोह  मानता है मुझे
,
वो तो  मुद्दत से जानता है मुझे
जानता है मुझे  जानता है मुझे
जानता है मुझे  पहचानता नहीं
वो  तो मुद्दत  से जानता है मुझे
,
किया प्यार मिली नही मुहब्बत हमें
बीती ज़िन्दगी  यूँहि तड़प तड़प के
बहारों  में  क्यों मिली हमें है खिज़ा
जानता है   नही  समझता है   मुझे
,
वो तो  मुद्दत से जानता है मुझे
जानता है मुझे  जानता है मुझे
जानता है मुझे  पहचानता नहीं
वो  तो मुद्दत  से जानता है मुझे

रेखा जोशी


No comments:

Post a Comment