122. 122. 122. 122
न जाने सजन क्यों खफा हो रहा है
हमें दर्द दे कर जुदा हो रहा है
,
निभाई नही प्रीत उसने कभी भी
किया प्यार उसने गुमा हो रहा है
,
सताये हमें याद तेरी कहाँ हो
रहे जागते क्या यहाँ हो रहा है
,
गये छोड़ हमको सजन तुम कहाँ पर
बिना प्यार जीवन सजा हो रहा है
,
रहे हम अकेले रहा प्यार तन्हा
किसी का नहीं अब भला हो रहा है
रेखा जोशी
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