Monday, 29 May 2017

न जाने सजन क्यों खफा हो रहा है

122. 122. 122. 122

न जाने  सजन क्यों खफा हो रहा है
हमें दर्द दे कर जुदा हो रहा है
,
निभाई नही प्रीत  उसने कभी भी
किया प्यार उसने गुमा हो रहा है
,
सताये हमें याद तेरी कहाँ  हो
रहे जागते  क्या यहाँ हो रहा है
,
गये छोड़ हमको सजन तुम कहाँ पर
बिना प्यार जीवन सजा हो रहा है
,
रहे हम अकेले रहा प्यार तन्हा
किसी का नहीं अब भला हो रहा है

रेखा जोशी

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