Thursday 25 May 2017

है संघर्ष यह जीवन


है संघर्ष यह जीवन 
कब गुज़रा बचपन
याद नही
आया होश जब से
तब  से
हूँ भाग रहा
संजों रहा खुशियाँ
सब के लिए
थे अपने कुछ थे पराये
उम्र के इस पड़ाव में
आज निस्तेज
बिस्तर पर पड़ा 
हूँ समझ रहा 
अपनों को और परायों को
था कल भी
हूँ आज भी
संघर्षरत
तन्हा सिर्फ तन्हा

रेखा जोशी

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