Thursday 18 May 2017

 छन्द [कुकुभ]

हे माखनचोर नन्दलाला ,है मुरली मधुर बजाये 
धुन सुन  मुरली की गोपाला ,राधिका मन  मुस्कुराये
चंचल नैना चंचल चितवन, राधा को मोहन  भाये  
कन्हैया से  छीनी मुरलिया  ,बाँसुरिया  अधर लगाये

मुक्तक 

हे माखनचोर नन्दलाला ,है मुरली मधुर बजाये 

धुन सुन  मुरली की गोपाला ,राधिका मन   मुस्कुराये 

चंचल नैना चंचल चितवन,  प्रीत लगी गोपाला से 

कन्हैया से छीनी मुरलिया  , बाँसुरिया अधर लगाये 

रेखा जोशी 

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