जीवन मृत्यु
ज़िंदगी के दो पहलू
दो रूप
एक ही सिक्के के
आज जीवन
तो
कल मृत्यु
लुप्त
हो जाती
न जाने कहाँ
छोड़ जड़ को
चेतना कहीं
लेकिन
वह पल
वह हसीं लम्हे
कभी
गुज़रे थे जो
साथ
दे जाते
इक टीस और
कुछ महकती हुई
यादें
जीवन भर के लिए
रेखा जोशी
ज़िंदगी के दो पहलू
दो रूप
एक ही सिक्के के
आज जीवन
तो
कल मृत्यु
लुप्त
हो जाती
न जाने कहाँ
छोड़ जड़ को
चेतना कहीं
लेकिन
वह पल
वह हसीं लम्हे
कभी
गुज़रे थे जो
साथ
दे जाते
इक टीस और
कुछ महकती हुई
यादें
जीवन भर के लिए
रेखा जोशी
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