Monday, 5 May 2014

तुम ही तुम हो इस सृष्टि में

पिघल जाता 
लोहा भी
इक दिन
चूरा हो जाता 
पहाड़ भी 
ले बहा जाता
समय संग अपने
रह जाती
बस माटी
समाया बस तू
कण कण में
छू नही सकता 

जिसे
समय कभी

भी 
तुम ही तुम 
हो बस 
इस सृष्टि में 

रेखा जोशी 


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