किसको सुनायें
हम अपनी दुःख भरी
दास्तान
इतनी बेरहम नही
थी कभी
ज़िंदगी हमारी
थे मिले ज़ख़्म
पहले भी
सह लिये
जो कभी
हँस कर हमने
कुरेद कर फिर उन्हें
क्यों नमक घावों पर
छिड़क दिया
तुमने
ज़िंदगी
रेखा जोशी
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