उसका भोला सा
मुस्कुराता हुआ चेहरा
देख कर
प्यार से मैने
उसे गले लगाया
सुख दुःख का अपने
उसे साथी बनाया
पर फितरत मे उसकी
था फरेब और धोखा
घोंप दी छुऱी
पीठ पर मेरी
और
कर दिया खून
दोस्ती का मेरी
निकल गया जनाज़ा
मेरी वफ़ा का
और वो ज़ालिम
रहा मुस्कुराता
रेखा जोशी
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