Friday, 23 May 2014

गीतिका



हे श्याम साँवरे  गौ मात के रखवाले तुम ।
गौ रक्षा कर गोवर्धन पर्वत उठाने वाले तुम ।
दया करो दया करो सुनो फिर मूक पुकार तुम ।
कटती बुचड़खाने में आ कर उद्धार करो तुम ।।

हे श्याम साँवरे खाने को मिले  घास  नही ।
खा रही कूड़ा करकट कोई उसके पास नही ।
डोलती है  लावारिस कोई उनका वास नही।
दीनदयाला अब तेरे सिवा कोई आस नही ।।

हे  श्याम साँवरे सुनो  पुकार कामधेनु की।
संवारों तुम ज़िन्दगी माँ तुल्य कामधेनु की।
जर्जर  काया  बह रहे  आँसू  तुम्हे  पुकारें ।
याद आयें धुन मधुर बंसी की तुम्हे पुकारें ।।

रेखा जोशी 







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