दे के आवाज़ गम के मारों को
दे दो सहारे उन बेचारों को
,
जीवन में उन्हें मिले दुख ओ दर्द
बना लो अपना उन बेसहारों को
,
भटक रहे गली गली हो दर बदर
दे दो आवास उन बंजारों को
,
दुनिया ने चुभाए शूल पांव में
निकाल दो आज तुम उन खारों को
,
नहीं मिली खुशियां कभी जीवन में
उनके लिए बुला लो बहारों को
रेखा जोशी
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