दो दिन की है ज़िन्दगी यहां,दो दिन ही साथ निभाना है प्रेम कर ले सभी है अपने,दुख दर्द सबका मिटाना है किस बात का करते हो यहां,तुम अहंकार बता ओ बन्दे है माटी के पुतले हम सब ,माटी में ही मिल जाना है
रेखा जोशी
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