Friday, 6 October 2017

मुक्तक


दो दिन की है ज़िन्दगी यहां,दो दिन ही साथ निभाना है
प्रेम  कर ले  सभी है अपने,दुख दर्द सबका  मिटाना है
किस बात का करते हो यहां,तुम अहंकार बता ओ बन्दे
है माटी के पुतले हम  सब ,माटी  में  ही मिल जाना है

रेखा जोशी

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