Thursday 26 October 2017

समझ नहीं पाओ गे तुम


आलीशान बंगलों में बैठ
करते हो बात गरीबों की
नहीं समझ सकते तुम
पेट की आग को
कुलबुलाती है भूख जब
गरीब के पेट में
सु्‍सज्जित मेज़ पर
लज़ीज़  व्यंजन खाते वक्त
नहीं समझ सकते तुम
हालात गरीबों के
क्योंकि तुम्हारी राहों में
बिछे रहते सदा मखमल के कालीन
शान ओ शौकत के
समझ भी नहीं पाओगे तुम
क्योंकि
तुम्हारी राह में मिट्टी के घर नहीं आते

रेखा जोशी

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