है खिल खिल गये उपवन महकाते संसार फूलों से लदे गुच्छे लहराते डार डार सज रही रँग बिरँगी पुष्पित सुंदर वाटिका भँवरें अब पुष्पों पर मंडराते बार बार
रेखा जोशी
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