मुट्ठी भर दाने अपने आँगन में बिखेरता हूँ
मैं उन चिड़ियों को अक्सर दाना दुनका देता हूँ
,
एक से बढ़कर एक लुभाती सुंदर चिड़िया अंगना
चहकती फुदकती दाने चुगते उन्हें देखता हूँ
,
चहचहाने से उनके चहक उठता आंगन मेरा
वीरान नैनों में भर खुशियाँ यहां समेटता हूँ
,
सुबह शाम करें कलरव मधुर रस कानों में घोले
मधुर गीतो से झोली में फिर जिंदगी भरता हूँ
,
रिश्ता उनसे अनोखा मेरा है हर रिश्ते से ऊपर
कभी कभी दिल की बातें भी उनसे कर लेता हूँ
रेखा जोशी
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