Monday, 6 December 2021

मुक्तक
कुछ कर न पाई ज़िन्दगी गई गुजर है
सुख दुःख से भरा यहाँ जीवन सफर है
है  बीत गए ज़िन्दगी के अनमोल क्षण
कुछ कर  गुजरने को ज़िन्दगी अग्रसर है

रेखा जोशी

Tuesday, 30 November 2021

चाय

गर्मा गर्म चाय
सुबह सुबह की 
और साथ 
तुम्हारा है
खुदा कसम
यह पल सबसे
प्यारा है
,,
वाह 
क्या मिठास है
तुम्हारे हाथों की
बनी चाय में
बनी रहे ऐसी ही मिठास
रिश्तों में हमारे
और कट जाए सफर
ज़िन्दगी का
चाय की चुस्कियों के संग
हमारा तुम्हारा

रेखा जोशी


Friday, 26 November 2021

हो रहा है जो उसे होने दो

माना कि
है संघर्षरत ज़िन्दगी यहाँ
मिलते हैं गम तो मिलने दो
हो रहा है जो होने दो
,,
सुख दुख से भरी है जिंदगी
हर वक्त इम्तिहान लेती है ज़िन्दगी
सुलझा लो
गर न सुलझे कभी तुमसे
प्रार्थना करो और उसे
ऊपरवाले पर छोड़ दो
हो रहा है जो उसे होने दो
,,
जीत मिलती कभी
मिलती है हार यहाँ
है जीवन हमारा धूप छांव यहाँ
लम्हा लम्हा हाथों से 
गर फिसल रही हो जिंदगी
तो फिसल जाने दो
हो रहा है जो उसे होने दो
,,
जीवन इक खेला
है यहाँ दो दिन का मेला 
मिलती हैं खुशियाँ यहाँ
सन्नाटा मौत का भी है यहाँ
गर बहते हैं आँसू तो बहने दो
हो रहा है जो उसे होने दो
,,
न ग़म कर यहाँ
पुष्पित ज़िन्दगी भी महकती यहाँ
मुस्कुराहट चेहरे पर भी आने दो
हो रहा है जो उसे होने दो


रेखा जोशी



Monday, 22 November 2021

ओम की गुंजन

ओम की गुंजन

ओम के जाप से हो जाता शान्त मन

गूंज से इसकी  हो जाता कंपित तन

,,

वेदों में  बतलाया ओम का स्वरूप

है ओम की महिमा  सदा सत्य सनातन

,,

ओ उ  म में है समाया  सारा ब्रह्माण्ड

गूंगा भी करता है ओम का उच्चारण

,,

 जप कर ओम नाम  होता कल्याण सबका

ओम  ही   साकार   रूप   ओम ही  निर्गुण

,

ओम जाप  से जाते  कट सभी के पाप 

है कण कण में  समाई ओम की गुंजन

रेखा जोशी




Friday, 19 November 2021

शीर्षक तेरी ज़िद

शीर्षक  तेरी ज़िद

प्यार मेरा झुक गया ,तेरी ज़िद के सामने
लो मानी हार पिया  ,तेरी ज़िद के सामने
,,
कसम देकर तुमने सजन चुप हमें करा दिया
लबों को अब सी लिया , तेरी ज़िद के सामने
,,
सही होकर भी हमें गलत साबित कर दिया 
दर्द दिल में रख दिया, तेरी ज़िद के सामने
,,
कहने पर आते तो हम भी कह देते सजन
प्यार तुमसे है किया, तेरी ज़िद के सामने
,,
अब न लो और तुम इम्तिहान हमारे सब्र का
घबराने लगा  जिया, तेरी ज़िद के सामने

रेखा जोशी




Thursday, 19 August 2021

मुक्तक

जय शिव शंकर भोलेनाथ दुख हरता
दर्द का  सागर  प्रतिदिन जाता भरता
हलाहल पीना तुम मुझे भी सिखा दो
कर जोड़  अपने  प्रार्थना  प्रभु करता
रेखा जोशी

Friday, 13 August 2021

हिंदोस्तां हमारा,दुनिया से है ये न्यारा

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

हिंदोस्तां हमारा,दुनिया से है ये  न्यारा
चमके जहां में ऐसे ज्यों आसमान तारा
,,,
उत्तर खड़ा हिमालय आकाश छू रहा है
दुश्मनों को हमारे ये  मात  दे  रहा है
रक्षा  कर रहा ये प्रहरी बना है हमारा, 
,,
फसलें हरी भरी सी है लहलहा रही
मेहनत किसानों की क्या, खूब रंग ला रही
भरता है पेट सबके सबका है ये प्यारा
,,
साधु जनों की हस्ती, पावन है इसकी भूमि
है बहती सदा रही यहाँ नदियाँ ज्ञान की
जीवन नया मिला है अमृत की सी धारा
,,
माटी लगाएं माथे, चूमें धरा हम इसकी
मिलकर गीत गायें  जननी है ये हमारी
अर्पण करेंगे इस पर, जीवन अपना सारा
,,
हिंदोस्तां हमारा,दुनिया से है ये  न्यारा
चमके जहां में ऐसे ज्यों आसमान तारा



रेखा जोशी

Friday, 30 July 2021

"थाली ". नवगीत

थाली  नवगीत

कैसी यह दुनिया, कैसा संसार
रहना यहाँ संभल कर प्यारे 
पग पग पर  मिलेंगे यहां
झूठे और मक्कार 

दूर रहो ऐसे लोगों से 
लूटते बनाकर जो अपना 
खाते हैं जिस भी थाली में वोह 
करेंगे छेद वहाँ पर

नहीं भरोसे के काबिल 
करते अपना वोह उल्लू सीधा 
लुढकते रहते 
थाली में बैंगन जैसे 
इधर कभी उधर
उधर कभी इधर

चलते बनते वहाँ से वोह 
मतलब निकल जाने के बाद 
जिंदगी में साथ निभाए जो 
थामना हाथ उसका पहचान कर 
मिल जाए जो साथी ऐसा जीवन में
बन जाएगा फिर  सफ़र सुहाना
बन जायेगा फिर सफ़र सुहाना

रेखा जोशी 





Tuesday, 27 July 2021

हाइकु

काली घटाएं
है मौसम सुहाना
मेघा  गरजे
,,
खिली बगिया
हरियाली छा रही
सावन आया
,,
गरजे घन
बदरा बरसते
थिरके तन
,
घिर के आई
है कारी बदरिया
फुहार ठंडी

रेखा जोशी


Tuesday, 13 July 2021

We and our elderly folks


Believe it or not, however what to do older guardians are additionally constrained by the propensity, their folks likewise did what they are doing now, yet the circumstances are different, the present old guardians didn't talk before their seniors, they an excessive number of Things appeared terrible to his elderly folks, yet that time was with the end goal that he used to acknowledge numerous things regardless of whether he would not like to, I don't know whether he used to regard them on account of regard or due to the general public, in some cases he used to take his brain. used to be pitiful 

These days the circumstances are different and it is something similar from one age to another, where does the present age pay attention to their folks, these days youngsters have a response for all that which at times even damages their older guardians, that is the reason Elders ought to likewise comprehend that don't meddle much in the question of kids, that is the reason these days kids need to carry on with their life as their own, regardless of how much the old guardians make, kids will would what they like to do on the grounds that They are not monetarily subject to their seniors and either don't have the foggiest idea how to regard or they love their folks as their own. 

That is the reason older folks ought to likewise deal with themselves, deal with their wellbeing and pay attention to kids as well, however let them carry on with their lives as per them. 

Rekha Joshi

Sunday, 11 July 2021

Journey of a leaf

Journey of a leaf

Leaf once was part of a tree
Green colour
Shinning in sunlight
Fluttering with cool cool brezee
As if dancing
With the branches of a tree
But had to struggle
Sometimes with stormy winds
And forced to leave the tree
Scattering
Here and there on earth
With immense pain in heart
Leaving the tree forever
After completing its journey

Rekha Joshi

Wednesday, 7 July 2021

How to increase your mental power

Medically and scientifically it has been proven that if you are happy for 48 hours. without a single moment of anger, worry and restlessness, you can increase. your mental ability


 Your body and mind will function optimally.  Everything will change for you but along with this you also have to take care of some things which are as follows:-


No smoking


 Gotta quit smoking.  The mental power of the smokers is greatly reduced.


Nutritious food


 20% of our food goes to nourish the brain, so we have to pay attention to nutritious food as well.


Increase the efficiency of brain


 We have to talk more than before, due to this the brain cells remain active and their efficiency increases.  Thinking is a kind of exercise for our brain. 


 Keep your mind busy with intellectual tasks


 The mind will always have to be kept busy in those tasks which require intelligence., like quiz solving, Sudoku etc.  Due to which maximum part of your brain will be active.


Learning new language


 It is  proven that learning a new language helps to improve people's thinking skills and memory abilities. Bilingual students can concentrate better, ignoring distractions more effectively than those who only speak one language. “Because the language centers in the brain are so flexible, learning a second language can develop new areas of your mind and strengthen your brain's natural ability to focus." and hence increases your mental power.


Meditation increases mental power


Meditation quieting the mind and generates feelings of relaxation. The brain then sends signals of blissfulness to the entire body, which then reorganises itself into a restful and stress-free state.


"Instead of having brain matter generated through states of stress, meditation provides the brain with blissful experiences that increase the capability in every area," It is seen that  meditation enhance the

creative power, increases the  learning ability and intelligence. Meditation is not just a psychological or mood-enhancing tool but a way to grow and access more brain power."


 If the working capacity is increased to three hours instead of two hours, then your brain also responds to the increasing work by activating its dull parts, thereby increasing mental power


 So friends, keep all these things in your mind you can increase your mental power


Rekha Joshi

Wednesday, 30 June 2021

जिंदगी कुछ सवाल हैं तुझसे

जिंदगी तुमसे कोई शिकायत तो नहीं

लेकिन कुछ सवाल हैं तुझसे

ऐसी क्या ख़ता हुई जो

सारे जहां का दर्द दिया मुझे

गैरों से क्या गिला शिकवा

अपनों से ही मिला धोखा हमें

हमने तो बिछाये थे राहों पर फूल

फिर कांटों का सिला क्यों मिला हमें

जिनको समझा था अपना हमने 

था प्यार किया  कभी हमने

निकले फरेबी अपने ही 

सिवा आसुओं के कुछ न मिला 

न समझा किसे ने भी हमें

किससे करें शिकायत

कैसे जियें जीवन यह हम 

कोई भी  तो नहीं हमारा इस जहां में

कोई भी  तो नहीं हमारा इस जहां में

रेखा जोशी

Wednesday, 23 June 2021

ओम की महिमा


ॐ के जाप से जहां मन को शांति मिलती है वहीं इसके उच्चारण से हमारे पूरे शरीर में इसकी ध्वनि गूंजती है, ॐ के उच्चारण से ही शरीर के अलग अलग भागों मे कंपन शुरू हो जाती है जैसे की ‘अ’:- शरीर के निचले भाग में पेट के पास कंपन करता है. ‘उ’– शरीर के मध्य भाग में कंपन होती है जो की छाती.के पास ‘म’ शरीर के मस्तिष्क में कंपन करता है, ॐ शब्द के उच्चारण से कई शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक लाभ मिलते हैं. अमेरिका के एक FM रेडियो पर सुबह की शुरुआत ॐ शब्द के उच्चारण से ही होती है. l वेदों के अनुसार जिस सनातन सत्य की महिमा का वर्णन किया गया है विज्ञान धीरे-धीरे उससे सहमत होता नजर आ रहा है।धार्मिक मान्यताओं में तो ओम को महामंत्र माना ही जाता है, वैज्ञानिकों के अनुसार भी हमारे पूरे ब्रह्मांड में ओम की गुंजन जैसी ध्वनि रिकार्ड की गई है l ओम का उच्चारण एक गूँगा भी कर सकता है, यहां तक कि स्पीच थेरेपी में भी इसका उच्चारण करवाया जाता है l

रेखा जोशी


Friday, 4 June 2021

चौपाई

आस पास हैं  ईश  हमारे
चले आना जब भी पुकारें

राम नाम हृदय में बसाया
कुछ नहीं अब हमे है भाया
..
आस पास हैं  ईश  हमारे
चले आना जब भी पुकारें
...
सीताराम भजो मन प्यारे 
दुखियों के सब कष्ट निवारे
..
 भगवन जिसके ह्रदय समाये 
 पीड़ा रोग पास ना आये
दीन बंधु सबका रखवाला 
कर कृपा अपनी नंदलाला
..
एक ही सहारा प्रभु नाम का 
पी ले प्याला राम नाम का
....
राम नाम घट घट का वासी 
चारो धाम ह्रदय में काशी
..
मन के तार प्रभु से मिला ले 
है भक्तों के राम रखवाले
दुख निवारे हरे सब पीड़ा 
राखो मन अपने रघुवीरा
.
दे दो प्रभु तुम हमे सहारे 
मीत बनो तुम ईश हमारे

रेखा जोशी

उजाला मेहरबाँ हुआ

आफताब को छू कर

आफताब हुआ

अंधेरा था छाया

उजाला मेहरबाँ हुआ

भर ली उड़ान पंछियों ने

मुस्कुराने लगे फूल

चहकने लगी बुलबुल

गुलशन गुलज़ार हुआ

हवा के शीतल झोंको से

सिहर उठा तन मन

आफताब होने से

सारा जहां रौशन हुआ

रेखा जोशी

Thursday, 3 June 2021

प्रकृति का गीत संगीत

प्रकृति का मधुर गीत है पर्यावरण

वनसम्पदा का प्रतीक  है पर्यावरण 

,,

चहकते पंछी कुहुकती कोयलिया

छलकते झरने औ महकती बगिया

वसुधा  का ये  सँगीत है  पर्यावरण

,,

अटकी हैं सांसे  शहर धुआँ धुआँ

प्रदूष्ण  के जाल  में  लिपटी  धरा

आओ बचाएँ धरती का आवरण

,,

कटे  पेड़   सूना  अंगना  धरा का

है छलनी हुआ ह्रदय धरती माँ का

है  पंछी भटक  रहे  धूमिल  गगन

,, 

आओ रूप वसुधा का मिल निखारें

सूनी  धरा  में   खुशियाँ  नई  बो दें

खेत खलिहान  गुनगुनाता पर्यावरण

,,

प्रकृति का मधुर गीत है पर्यावरण

वनसम्पदा का प्रतीक  है पर्यावरण 

रेखा जोशी

Friday, 28 May 2021

गीतिका - प्रार्थना

विधाता छंद पर आधारित

गीतिका - प्रार्थना

मापनी
1222 1222 1222 1222

जपें जब नाम तेरा राह में प्रभु पास होता है 
कृपा तेरी रहे हम पर सदा विश्वास होता है 

हमेशा हाथ तेरा ही रहे सर पर हमारे प्रभु 
करें पूजा यहाँ दिन रात दुख का नास होता है 

दया इतनी करो भगवन हमारे काज हों पूरें
खड़े हो पास तुम मेरे यही आभास होता है 

कहीं कोई सहारा जब हमें दिखता नहीं भगवन 
पुकारें आपका जब नाम पल वह खास होता है 

खिले हैं फूल बगिया में महकता है यहाँ उपवन 
समाये हो जहाँ में आप कण कण वास होता है

रेखा जोशी

Thursday, 27 May 2021

पंछी आता अकेला जाता अकेला

अतिथि रचना
गीत 

है जीवन यहाँ बस दो दिन का मेला
पंछी आता अकेला जाता अकेला 
...
जीवन मीठा हो या कड़वा करेला 
रहा सुलझाता झमेले पे झमेला
दिन को चैन न रात को मिले आराम 
जाने कब आ जाये मौत की बेला 
मनाऊँ किस जीत पर जश्न की बेला
बहाऊँ हार पर आंसुओं का रेला 
इक दिन जुदा हो जाना है संसार से
कौन करे गा याद फिर तुझे अलबेला
... 
अजब ग़ज़ब जीवन में वक्त का खेला
पास होगा न कोई संगी  सहेला
धरा का धरा रह जाएगा यहां सब 
साथ न जाए किसी के इक भी धेला 
.. 
है जीवन यहाँ बस दो दिन का मेला
पंछी आता अकेला जाता अकेला 

रेखा जोशी 


Sunday, 23 May 2021

मुक्तक

सुन्दर तन सदा ना सुन्दर ही रहेगा
वक़्त के चलते मुरझा कर ही रहेगा
सुन्दर तन ढल जाएगा मन चमकेगा
सोना है तप कर निखरता ही रहेगा

रेखा जोशी


मुक्तक


कभी किसी को अपशब्द न बोलिए 
बोलने   से   पहले    शब्द   तोलिए 
शब्दों  से आपके दुखे न दिल कभी 
अपने  शब्दों  में  अमृत  रस घोलिए 

रेखा जोशी 


Saturday, 22 May 2021

ग़ज़ल

मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन

1222 1222 122

काफिया आना
रदीफ़ और ही था

तिरा साजन  फ़साना और ही था
न मिलने का बहाना और ही था
..
न जाना छोड़ कर महफ़िल हमारी
तिरा फिर रूठ जाना और ही था
...
रही हसरत अधूरी प्यार में अब
वफ़ा हमसे निभाना और ही था
....
शमा जलती नही है रात भर अब
हमारा वह  ज़माना और ही था
...
बदल कर रूप अपना ज़िन्दगी अब
हमारे  पास  आना  और ही था

रेखा जोशी

Sunday, 16 May 2021

सुगंधित करते रहें पुष्प  प्यारी ज़िन्दगी
स्नेह के फूलों ने  खूब  सँवारी जिन्दगी
बहारें आती रहें  जीवन  की  बगिया में
महकती  महकाती रहें  हमारी जिन्दगी
रेखा जोशी

Tuesday, 11 May 2021

मौत का कहर

सहम गई है जिंदगी
देख भयानक रूप आज 
आहटे मौत की 
आ रही हैं हर ओर से
बिछुड़े कितने ही
अपनों से आज अपने
मुस्कराते चेहरे 
खामोश लिपटे सफेद किट में 
सो गए सदा सदा के लिए 
हे भगवन ये क्या हो रहा है 
हर शख्स परेशान हो रहा है 
दया करो प्रभु, दया करो प्रभु 
बस अब और नहीं और नहीं 
बंद कर दो अपना ये खेल 
माफ कर दो हमारी हर भूल 
खुशियां भर दो झोली में सबकी
फिर से जीवन में उल्लास भर दो 

रेखा जोशी 

Friday, 9 April 2021

अनबुझी प्यास

जो टूटे न कभी विश्वास हूँ मैं
अनवरत करती  प्रयास हूँ मैं 
जो बुझ न सकी सागर से भी
वो  ही  अनबुझी  प्यास हूँ  मैं 

रेखा जोशी 


Wednesday, 17 March 2021

जीवन सफर

टेढ़े मेढ़े रास्ते, जीवन डगर

पथरीली राहों पर

जीवन सफ़र मुश्किल

कैसे चलें हम

सम्भल के रखना पांव

जिंदगी की राहें आसान नहीं होती

खुशी नहीं गम भी चलें संग संग

जीत नहीं, मिलती हार की ठोकरें भी

हो जाते हैं अपने भी पराये कभी

आंसुओं की होती है यहाँ बरसात भी

कंटीली राहों पर

फूलों की बरसात नहीं होती

जिंदगी की राहें आसान नहीं होती

रेखा जोशी

Monday, 22 February 2021

बाय बाय,टाटा जिंदगी

जन्म और मरण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, जिसने जन्म लिया एक दिन उसे मरना ही है, हम कहाँ से आए कुछ पता नहीं, हम मर कर कहाँ जाएंगे कुछ पता नहीं और जीवन है कि पल पल गुजरता जा रहा है, समय कब रेत सा हाथ से फिसलता जा रहा है मालूम ही नहीं होता, कल, आज और कल के चलते कब अंतिम पड़ाव आ जाता है पता ही नहीं चलता और उम्र तो केवल एक संख्या है, अरे भाई जब जागो तभी सवेरा, पचास का इंतज़ार क्यूँ, जब इक दिन यह संसार छोड़ना ही है तो किस बात का इंतज़ार,, ईश्वर ने हमें इस दुनिया में भेजा है तो अच्छे कर्म करते जाओ और प्रभु के गुण गाते जाओ और दुनिया दारी के कीचड़ में कमल की भांति जिंदगी जियो l आपसे एक सवाल पूछ रही हूँ, "किस बात की तैयारी करनी है?" मौत तो कभी भी पूछ कर नहीं आती, जब आएगी तो आ ही जायेगी, इसलिए हर वक्त जाने को तैयार रहो लेकिन ऐसे जाओ कि कभी किसी बात का पछतावा न रहे, जिंदगी को बाय बाय,टाटा करने से पहले शुभ कर्म करते हुए भरपूर जीवन जियो ताकि हम शांति से उस पार जा सकें l

रेखा जोशी

Saturday, 20 February 2021

सुख दुख

कोई ऐसा नहीं
जो खुश हो इस जग में
पूर्णतया
मिलते हैं सुख दुख
जीवन में सबको
माना कि लम्बी हो जाती 
हैं  घड़ियां दुख की
न मिले दिन को चैन
न रातों को आराम
लेकिन न छोड़ना कभी 
आस तुम 
आज दुख है तो 
कल सुख भी आएगा 

रेखा जोशी 

Sunday, 14 February 2021

यहां सुख दुःख से है भरी जिंदगी

यहां सुख दुःख से है भरी जिंदगी

हर वक्त इम्तिहान लेती जिंदगी

जीत मिलती कभी मिलती यहां हार

हमारी धूप छांव जैसी जिंदगी

..

रुकता नहीं वक्त किसी के. वास्ते

लम्हा लम्हा हाथों से फिसलती जिंदगी

..

हैं खुशियाँ कहीं सन्नाटा मौत का

आँसू बहाती कहीं हँसती जिंदगी

..

दो दिन का मेला जीवन इक खेला

न ग़म कर फूल सी महकती जिंदगी

रेखा जोशी

Monday, 8 February 2021

ज्योति प्रेम की

जला कर ज्योति प्रेम की पार हुए भव सागर से 
तर गए संत फकीर छलकाए प्रेमरस गागर से 
प्रेम पूजा प्रेम शिव सबसे प्रेम कर ले तू 
बरसा अमृत की बूँदे अथाह प्रेम सागर से 

रेखा जोशी

Sunday, 7 February 2021

कोरोना का कहर

कोरोना का कहर 
न जाने कितने दिनों से नीलू की आँखे दरवाज़े पर ही टिकी हुई थी , कोरोना काल में पता नहीं कितने मील दूर पैदल चल कर उसकी आँखों का तारा, उसका प्यारा बेटा अमर घर वापिस आ रहा था, चिट्ठी में तो यही लिखा था कि वह जल्दी ही घर आने वाला है, लेकिन कब? "हे प्रभु मेरे बेटे की रक्षा करना, न जाने वह किस हाल में होगा, उसकी अपनी बस्ती में ही अनगिनत परिवार कोरोना की भेंट चढ़ चुके थे और कई लोग इस खतरनाक बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं,आज महामारी के इस दौर में, जब लाखों की संख्या में लोग काल का ग्रास बन रहे हैं, भगवान से प्रार्थना करने के सिवा वह कर भी क्या सकती है l " मन ही मन नीलू ईश्वर से अमर की सलामती की प्रार्थना करने लगीl.

मई का गर्म महीना, टीन की टूटी फूटी छत पर उसने चादर डाल दी थी ताकि झोंपड़ी में झाँकती तेज़ धूप से कुछ राहत मिल सके l गर्मी की इस भरी दोपहर में पूरी बस्ती सुनसान पड़ी थी, कोरोना के कहर के कारण कोई भी घर से बाहर नहीं निकल रहा था l जिंदगी जैसे थम सी गई थी, न जानें कितने दिनों से अनगिनत घरों के चूल्हे ठंडे पड़े हुए थे , ऊपर से पैसों की किल्लत, घर में राशन के नाम पर दो तीन मुट्ठी चावल ही बचे थे, क्या बना कर खिलाए गी अमर को, उसे कुछ भी सूझ ही नहीं रहा था l 

सूरज की तपिश से टीन की छत आग बरसा रही थी,गर्मी और घबराहट के कारण उसका गला सूख रहा था, झोंपड़ी के कोने में रखे घड़े से पानी पी कर उसने अपने गले को थोड़ा सा तर किया, पसीने से तरबतर नीलू एक ठंडी साँस ले कर दरवाज़े पर खड़ी हो गई ताकि बाहर से कुछ ठंडक मिल सके, तभी उसे दूर से कुछ लोग आते दिखाईं दिए, उसकी धुंधली थकी आँखों में कुछ चमक आ गई, शायद इनके साथ अमर भी हो, अमर के पिता के गुजरने के बाद उसने कितनी मुश्किलों का सामना करते हुए अमर को पाल पोस कर बड़ा किया था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसे घर से दूर रहना पड़ा था l 

आते हुए लोगों का काफिला दूर वहीं पर रुक गया था, तभी उसे वहाँ से पड़ोसी कालू आता नज़र आया, "अरे काकी अमर का रास्ता देख रही हो क्या?" कालू ने नीलू से पूछा l"हाँ बेटा उसी की राह देख रही हूँ,, उसकी चिट्ठी आई थी, आज कल में पहुंच जाएगा " नीलू ने एक ही साँस में ज़वाब दिया l" काकी, खुश हो जा, अमर आ गया है, गांव के बहुत से लोगों का जत्था अभी अभी पहुँचा है लेकिन उन सब को क्वारनटाईन सेंटर में पन्द्रह दिन के लिए भेज रहे हैं ताकि गाँव में कोरोना फैल न पाए, हाँ तुम उसे दूर से देख सकती हो," कालू ने नीलू को बताया l

नीलू ने झटपट अपनी टूटी हुई चप्पल पहनी और अमर से मिलने क्वारनटाईन सेंटर की तरफ निकल पड़ी l

रेखा जोशी 

Friday, 5 February 2021

सपनों का संसार

रेनू ,सीमा के बचपन की सखी ,एक अत्यंत सरल स्वभाव और सात्विक विचारों वाली प्यारी सी लडकी थी । सीमा को बहुत ही आश्चर्य होता था जब भी रेनू कोई भी सपना देखती थी वह सदा सच हो जाता था ।आने वाली घटनाएं कैसे रेनू को सपनो में ही अनूभूति हो जाती थी ? ऐसे देखा गया है कि पूर्वाभास कई लोगों को हो जाता है परन्तु कितनी विचित्र बात है यह ,जो अभी घटित हुआ ही नही है उसका आभास पहले कैसे हो सकता है ।क्या हमारी जिंदगी की किताब पहले से ही लिखी जा चुकी और हम अपने आने वाले कल का केवल पन्ना पलट कर पढ़ रहें है । ''सपनो की दुनिया भी कितनी अजीब होती है ,सपने में सपना जैसा कुछ लगता ही नही ,बिलकुल ऐसा महसूस होता है जैसे सब सचमुच में घटित हो रहा हो । 

अपने विचारों में खोई सीमा की कब आँख लग गई उसे पता ही नही चला '',उफ़ ,कितना भयानक सपना था ,अच्छा हुआ नींद खुल गई ''डरी हुई सीमा बिस्तर छोड़ ,बाथरूम में जा कर मुहं धोने लगी ,उसके सीने में अभी भी दिल जोर जोर से धडक रहा था और सांस फूली हुई थी |अक्सर हम सब के साथ ऐसा ही कुछ होता है जब भी हम कभी कुछ ऐसा ही भयानक सा सपना देखतें है ,और जब कभी बढ़िया स्वप्न आता है तो नींद से जागने की इच्छा ही नही होती ,हम जाग कर भी आँखे मूंदे उसका आनंद लेते रहते है 

|सीमा बार बार उसी सपने के बारे में सोचने लगी ,तभी उसे अपनी साइकालोजी की टीचर की क्लास याद आ गई ,जब वह बी .एड कर रही थी ,सपनो पर चर्चा चल रही थी,''हमारी जागृत अवस्था में हमारे मस्तिष्क में लगातार विभिन्न विभिन्न विचारों का प्रवाह चलता रहता है ,और जब हम निंदिया देवी की गोद में चले जातें तो वह सारे विचार आपस में ठीक वैसे ही उलझ जाते है जैसे अगर ऊन के बहुत से धागों को हम इकट्ठा कर एक स्थान पर रख दें और बहुत दिनों बाद देखें तो हमें वह सारे धागे आपस में उलझे हुए मिलें गे , ठीक वैसे ही जब हम सो जाते है हमारे सुप्त मस्तिष्क के अवचेतन भाग में वह उलझे हुए विचार एक नयी ही रचना का सृजन कर स्वप्न का रूप ले कर हमारे मानस पटल पर चलचित्र की भांति दिखाई देते हैl 

 फ्रयूड के अनुसार हम अपनी अतृप्त एवं अधूरी इच्छायों की पूर्ति सपनो के माध्यम से करते है ,लेकिन दुनियां में कई बड़े बड़े आविष्कारों का जन्म सपनो में ही हुआ है ,जैसे की साइंसदान कैकुले ने छ सांपो को एक दूसरे की पूंछ अपने मूंह में लिए हुए देखा,और बेन्जीन का फार्मूला पूरी दुनिया को दिया | अनेकों साईकालोजिस्ट्स ने सपनो की इस दुनिया में झाँकने की कोशिश की, लेकिन इस रहस्यमयी दुनिया को जितना भी समझने की कोशिश की जाती रही है ,उतनी ही ज्यादा यह उलझाती रही है |हमें सपने क्यों आते है ?कई बार सपने आते है और हम उन्हें भूल जातें है ?हमारी वास्तविक दुनिया में सपनो का कोई योगदान है भी या नही ,और कई बार तो हमारे सपने सच भी हो जाते है |अनगिनत सवालों में एक पहलू यह भी है ,जब हम सो जाते है तब हमारा जागृत मस्तिष्क आराम की स्थिति में चला जाता है और उस समय मस्तिष्क तरंगों का कम्पन जिसे फ्रिक्युंसी कहते है ,जागृत अवस्था की मस्तिष्क तरंगो की अपेक्षा घट कर आधी रह जाती है ,उस समय हमारी बंद आँखों की पुतलिया घूमने लगती है जिसे आर ई एम् कहते है ,मस्तिष्क की इसी स्थिति में हमे सपने दिखाई देते है |एक मजेदार बात यह भी उभर के आई कि जब हम ध्यान की अवस्था में होते है तो उस समय भी मस्तिष्क तरंगों की कम्पन कम हो जाती है और हम जागृत अवस्था में भी आर ई एम की अवस्था में पहुंच सकते है ,अगर उस समय हम जागते हुए भी कोई सपना देखते है तो उसे हम पूरा कर सकते है |

 सीमा के मानस पटल पर बार बार रेनू का चित्र उभर कर आ रहा था ,शायद वह हमेशा ध्यानावस्था में ही रहती हो ,इसी कारण उसके मस्तिष्क के तरंगों की फ़्रिक्युएन्सी कम ही रहती हो और वह जो भी सपना देखती है वह सच हो जाता हो । सीमा के मस्तिष्क में भी अनेक विचार घूम रहे थे और वह बिस्तर पर लेट कर ध्यान लगाते हुए अपने सपनो के संसार में पहुंचना चाह रही थी ताकि वह भी अपने सपनो को सच होते देख सके ।

रेखा जोशी 


Friday, 29 January 2021

इंतजार

बैठ दरवाज़े पर करती इंतजार
गोरी अपना करके सोलह सिंगार
.. 
राह निहारे सजना नयन में सपने
बिन तेरे लागे न जिया कब दोगे दीदार
.. 
प्रीत की रीत को सदा निभाया हमने
सपने हुए न हमारे फिर भी साकार
.. 
खता ऐसी क्या हुई क्यों रूठे हमसे
हमने तुम पर अपना सब कुछ दिया वार
.. 
दिल से साजन तुमने बहुत की दिल्लगी 
फिर क्यों निगाहों से छलक रहा है प्यार

रेखा जोशी 

अधूरी कहानी

अधूरी कहानी पर खामोश लबों का पहरा है

चोट रूह की है इसलिए दर्द ज़रा गहरा है

..

खानी है अभी और चोट औ सहना है दर्द भी

किस को सुनायें हाल ए दिल हर कोई बहरा है

.

चीख रही रूह हमारी लेकिन होंठ सिले हुए..

रुक रही अब साँस आँसू आंखों पर ठहरा है

..

दर्द ही दर्द हैं जिंदगी में हर कोई बेखबर

खिले थे फूल चमन में बना अब तो यह सहरा है

..

गुजर गई है जिंदगी आंसुओ से भीगी हुई

टूटा दिल हमारा बसा नैनों में इक चेहरा है

रेखा जोशी

Thursday, 28 January 2021

दिल चाहता है

दिल चाहता है छूना आसमान

काम नहीं है यह इतना आसान

..

करना है पूरा जो चाहतों को

बना लो मेहनत अपना ईमान

.

चाहने से नहीं कभी कुछ मिलता

हौसलों को करो अपने परवान

..

कमर कस जुटो पाने को लक्ष्य तुम

जुटा लो सभी अपने सारे समान

..

छू लोगे इक दिन बुलंदियां तुम फिर

पूरे होंगे फिर सारे अरमान

रेखा जोशी

Saturday, 23 January 2021

Essence of life

Essence of  life

Everyday I see 
A  small sparrow
In a nest 
Swinging  on a branch
Of my garden tree
With little ones
Chirping playing 
Feeling safe with their mother 
Open up their little beaks 
Small sparrow fills them with food 
What she brought was from far
For her little ones
Day by day
Nest became smaller and smaller 
And the children grew up
One gloomy day I saw 
Sitting quietly, their caretaker 
Small sparrow 
On the branch of the tree 
Grown up those little ones 
Flew away 
Nest was quiet 
No chirping sound 
Of the little ones 
Now she is left alone
This is the essence of every life
This is the essence of every life

 
Rekha Joshi

Saturday, 9 January 2021

सार जीवन का



सार जीवन का

देखती हूँ हर रोज़
अपनी बगिया के पेड़ पर
नीड़ इक झूलता हुआ
महफूज़ थे जिसमें
वो नन्हे से चिड़िया के बच्चे
चोंच खोले आस में
माँ के इंतज़ार में
पाते ही आहट माँ की
चहचहाते उमंग से
उन नन्ही सी चोंचों को
भर देती वह दानों से
जो लाई थी वह दूर से
अपने नन्हों के लिए
दिन पर दिन गुजरते गए
घोंसला छोटा हुआ
और बच्चे बढ़ते गए
देखा इक दिन नीड़ को
बैठी चुपचाप रक्षिता वो
भर ली उड़ान बच्चों ने
रह गई अब अकेली वो
सार यही हर जीवन का
सार यही है जीवन का

रेखा जोशी

Friday, 8 January 2021

On the waves of happiness and sorrow


Life is like
A moving boat in deep ocean 
Rising and falling
On the waves of happiness and sorrow

Swinging back and forth
With blowing wind 
And roaring tides of uncalmy ocean 
On the waves of happiness and sorrow

Sun a ball of fire kisses 
The ocean surface 
Color shining vermilion
Glorious sky and dusky evening
Again the Sun rises 
There will be new morning
And life goes on
On the waves of happiness and sorrow

Rekha Joshi





 

आने वाला कल


जीना चाह रही

पर जी नही पा रही ज़िंदगी

निराशा के चक्रव्यूह से
निकलना चाह रही
पर निकल नही पा रही ज़िंदगी
घेर लिया उसे घोर निराशा ने
है छाया अन्धकार चहुँ ओर

किरण आशा की कहीं से भी
नज़र नहीं आ रही
पर यह तो है ज़िंदगी जियेगी
चीर सीना कालिमा का
बादलों की ओट से
निकले गा रथ अरुण का
सात घोड़ों पर सवार
विलुप्त होगा तब अंधकार
बिखरेंगी उसकी रश्मियाँ तब 

आने वाला कल होगा खुशहाल 
जी उठेगी ज़िंदगी फिर से इक बार

रेखा जोशी

Wednesday, 6 January 2021

बचपन

बचपन के 
खूबसूरत पल 
फिर महके

कंचे खेलना 
पिट्ठू गर्म करना 
स्टापु खेलना 

आँख मिचोली 
गल्ली डंडा खेलना 
चोर सिपाही 

गुड्डा गुड़िया 
घर घर खेलना 
शादी रचाना 

खेल खेल में 
वो रूठना मानना 
मधुर यादें 

रेखा जोशी