Tuesday, 10 February 2015
भोर भई और खिलते रहे है वन उपवन
सुनहरा आँचल सागर का चूम रहा गगन
सूरज के चमकने से है चल रहा जीवन
पल पल देखो बदल रही समय की यह धार
है भोर भई और महकता अब रहा चमन
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment