फैला प्रदूषण
हर तरफ
जल हो या थल
या हो फिर चाहे गगन
जायें तो कहाँ जायें
रहे विचार जीव असहाय
रहने को पेड़ नहीं
पानी में मिला मल
हस्ताक्षेप कर प्रकृति से
रुष्ट किया उसे मानव ने
विषाक्त है धरा गगन
घुला पानी में ज़हर
जायें तो कहाँ जायें
रहे विचार जीव असहाय
लुप्त हो रही
प्रजातियाँ कई
रहने का ठौर ठिकाना नहीं
जायें तो कहाँ जायें
रहे विचार जीव असहाय
रेखा जोशी
हर तरफ
जल हो या थल
या हो फिर चाहे गगन
जायें तो कहाँ जायें
रहे विचार जीव असहाय
रहने को पेड़ नहीं
पानी में मिला मल
हस्ताक्षेप कर प्रकृति से
रुष्ट किया उसे मानव ने
विषाक्त है धरा गगन
घुला पानी में ज़हर
जायें तो कहाँ जायें
रहे विचार जीव असहाय
लुप्त हो रही
प्रजातियाँ कई
रहने का ठौर ठिकाना नहीं
जायें तो कहाँ जायें
रहे विचार जीव असहाय
रेखा जोशी
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