Thursday, 5 February 2015

औरत एक रूप अनेक

नारी जीवन
ममता की मूरत
लुटाती  प्रेम
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बन कर माँ
है पालन करती 
इस जग का
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
भार्या बनती
है कदम कदम
साथ निभाती
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
औरत एक
है ममता लुटाती
रूप अनेक
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सूना आँगन
जो नही महकता
बिन बिटिया

रेखा जोशी 

No comments:

Post a Comment