Thursday, 19 November 2015

लिए हाथों में हाथ चल रहें साथ साथ

आज
है कुछ ख़ास
पाया
मैने सुखद एहसास
सुबह सुबह
मुस्कुरा रहा खिड़की से
अरुण
बिखेर रहा स्वर्णिम रश्मिया
दे रहा बधाई हमे
देख उसे
पाया मैने सुखद एहसास

खिले मेरे अंगना
चालीस बसंत
हर सुबह
संग संग चले
हर रात
संग संग मुस्कुराये
जीवन भर
संग संग हँसे
संग  संग रोये
लिए हाथों में हाथ
चल रहें साथ साथ
मिला जो तेरा हाथ
पाया मैने सुखद एहसास

रेखा जोशी

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