Tuesday, 3 November 2015

आईना जिंदगी का [गीत]


यह मन तो मेरा पगला है
पर आईना वो जिंदगी का
...
डूब जाता है कभी तो वो
भावनाओं के समन्दर में
उमड़ उमड़ आता है प्यार
कोई अंत नही नफरत का
...
रोता बिछुड़ने से तो कभी
गीत खुशियों के गाता कभी
है आँसू भी बहाता कभी
पर प्याला भी है प्रेम का
...
छोटा सा है यह जीवन रे
हर पल यूँ हाथ से छूटा रे
सुन ओ पगले मनुवा मेंरे
है मोल बहुत रे इस पल का
...
यह मन तो मेरा पगला है
पर आईना वो जिंदगी का

रेखा जोशी

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