Sunday, 8 November 2015

ज़िंदगी यूँही चलती रहे

वक्त जो
है गुज़र जाता
छोड़ जाता पीछे कई
खट्टी मीठी यादें
है भर आती आँखें कभी
या लब पे
आती मुस्कान कभी
पर गुज़रा हुआ वक्त
नीव बन  संवारता
आने वाले
जीवन के पल
है भरता जीवन में रंग
दे जाता हमे सीख नई
भुला कर  दर्द वो
है छिपे जो
अतीत के आँचल तले
ज़िंदगी यूँही चलती रहे
होंठों पर
मुस्कान लिये

रेखा जोशी




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