रात काली यह सुबह में आज ढलनी चाहिये
ज़िंदगी की शाम भी साजन सँभलनी चाहिये
इस जहाँ में प्यार की कीमत को'ई समझे नहीं
साज पर इक प्यार की धुन भी मचलनी चाहिये
रेखा जोशी
ज़िंदगी की शाम भी साजन सँभलनी चाहिये
इस जहाँ में प्यार की कीमत को'ई समझे नहीं
साज पर इक प्यार की धुन भी मचलनी चाहिये
रेखा जोशी
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