Tuesday, 24 November 2015

रात काली यह सुबह में आज ढलनी चाहिये

रात  काली  यह  सुबह  में आज  ढलनी चाहिये  
ज़िंदगी  की  शाम  भी  साजन सँभलनी चाहिये 
इस  जहाँ में प्यार की  कीमत को'ई समझे नहीं
साज पर इक प्यार की धुन भी मचलनी चाहिये 

रेखा जोशी  

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