Wednesday, 18 November 2015

आ रहे अब याद बीते दिन हमें

गीतिका
मापनी /बहर 2122 212 2 212

क्या ज़माना आ गया देखा यहाँ
अब  पढ़ा  बच्चा  रहा  समझा यहाँ

अब लगा कर आँख पर चश्मा नया
खोल पुस्तक फलसफा  देता यहाँ

याद आता प्यार से बचपन भरा
काश हम फिर  खेलते  खेला  यहाँ
....
दिन सुहाने खो  गये जाने किधर
ज़िंदगी का चल रहा मेला यहाँ
....
आ रहे अब याद बीते दिन हमें
ढल चुकी अब  शाम की बेला यहाँ

रेखा जोशी





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