गीतिका
मापनी /बहर 2122 212 2 212
क्या ज़माना आ गया देखा यहाँ
अब पढ़ा बच्चा रहा समझा यहाँ
क्या ज़माना आ गया देखा यहाँ
अब पढ़ा बच्चा रहा समझा यहाँ
…
अब लगा कर आँख पर चश्मा नया
खोल पुस्तक फलसफा देता यहाँ
…
याद आता प्यार से बचपन भरा
काश हम फिर खेलते खेला यहाँ
....
दिन सुहाने खो गये जाने किधर
ज़िंदगी का चल रहा मेला यहाँ
....
आ रहे अब याद बीते दिन हमें
ढल चुकी अब शाम की बेला यहाँ
रेखा जोशी
अब लगा कर आँख पर चश्मा नया
खोल पुस्तक फलसफा देता यहाँ
…
याद आता प्यार से बचपन भरा
काश हम फिर खेलते खेला यहाँ
....
दिन सुहाने खो गये जाने किधर
ज़िंदगी का चल रहा मेला यहाँ
....
आ रहे अब याद बीते दिन हमें
ढल चुकी अब शाम की बेला यहाँ
रेखा जोशी
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