मुक्तक
हर घड़ी ज़िंदगी की चहकने लगी
ज़िंदगी अब हमारी सँवरने लगी
झुक गई डालियाँ पुष्प खिलने लगे
अब उमंगें यहाँ पर उछलने लगी
.....
प्यार में पिया से मिलने लगे
फूल दिल में सजन खिलने लगे
बिछे शूल राहों में हमारी
ज़ख्म फिर ह्रदय के जलने लगे
रेखा जोशी
हर घड़ी ज़िंदगी की चहकने लगी
ज़िंदगी अब हमारी सँवरने लगी
झुक गई डालियाँ पुष्प खिलने लगे
अब उमंगें यहाँ पर उछलने लगी
.....
प्यार में पिया से मिलने लगे
फूल दिल में सजन खिलने लगे
बिछे शूल राहों में हमारी
ज़ख्म फिर ह्रदय के जलने लगे
रेखा जोशी
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