Thursday, 21 December 2023

है गुलज़ार बगिया

खिली  बगिया मेरी यहाँ महकते फूल
लाल  पीले  सफ़ेद  कुछ  रंगीले फूल
छाई अद्धभुत छटा है गुलज़ार बगिया
लहलहाते    उपवन   रंग  बिरंगे फूल

रेखा जोशी 

Friday, 15 December 2023

लम्हा लम्हा

लम्हा लम्हा कट रही है जिंदगी कुछ ऐसे

न कोई तमन्ना जीने की रही हो जैसे

..

रूठी सभी चाहते जीने की आस नहीं

जी कर भी क्या करें अपने ही पास नहीं

.

लगता था जो हमें दुनिया में सबसे प्यारा

तोड़ कर दिल चला गया वोह ही हमारा

..

साज सूने गीत सूना सूनी है सरगम

आंसू अविरल बह रहे हर ओर ग़म ही ग़म

..

रह गए हम तो अकेले दुनिया की भीड़ में

जो किया शायद अच्छा ही किया तकदीर ने

रेखा जोशी

Monday, 27 November 2023

इक दूजे के लिए

महक , एक खूबसूरत लड़की न जाने कैसे गलत दोस्तों के संसर्ग में आ कर ड्रग्स के सेवन में उलझ कर रह गई ,मस्ती के आलम में एक ही सिरींज से उसने अपने साथियों के साथ बांटा ,इस बात से अनभिज्ञ कि वह एक ऐसी जानलेवा बीमारी को निमंत्रण दे चुकी है जो लाइलाज है ,जी हा एड्स यानीकि’‘एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम” जिसका अर्थ है ”मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर अनेक बीमारियों का उस पर प्रहार जो की "एच.आई.वी”. वायरस से होती है.और यह वायरस ही मनुष्य की प्रतिरोधी क्षमता पर असर कर उसे इतना कमज़ोर कर देता है,जिसके कारण खांसी ज़ुकाम जैसी छोटी से छोटी बीमारी भी रोगी की जान ले सकती है |

यह जानलेवा बीमारी किसी भी इंसान में एच.आई. वी. ”ह्यूमन इम्यूनो डेफिसिएंशी वाइरस ”के पाजी़टिव होने से होती है ,लेकिन महक इन सब बातों से दूर थी उसने तो सिर्फ अपने एक साथी से ड्रग्स का इंजेक्शन ले कर लगाया था ,इस बात से बेखबर कि उसने किसी एच आई वी पासिटिव व्यक्ति के रक्त से संक्रमित हुए इंजेक्शन का सेवन कर लिया था,जिसने उसे मौत के मुहं की तरफ धकेलदिया था ,क्योकि इस बीमारी का इलाज तो सिर्फ और सिर्फ बचाव में ही हैl

 अगर कोई”एच आई वी” से ग्रस्त व्यक्ति किसी भी महिला या पुरुष से असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाता है तोवह उसे तो इस बीमारी से ग्रस्त करता ही है और अगर इस बीमारी से पीड़ित किसी पुरुष से कोई महिला गर्भवती हो जाती है तो उसके पेट में पल रहे बच्चे को भी यह जानलेवा बीमारी अपनी ग्रिफ्त में ले लेती है ,इसी कारण हमारे देश में इस रोग से पीड़ित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है l समलैंगिक सम्बन्ध ,रेड अलर्ट एरिया भी भारी संख्या में इस खतरनाक बीमारी को फैलाने में अच्छा खासा योगदान दे रहें है l

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और अनैतिक संबंधों की बढ़ती बाढ़ से यह बीमारी और भी तेजी से फैल रही है,और पूरे विश्व के लिए यह एक अच्छी खासी सिरदर्द बन चुकी है,यही वजह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इस बीमारी को बेहद गंभीरता से लिया है और हर वर्ष पहली दिसंबर को यह दिन ”विश्व एड्स दिवस”के रूप में मनाया जाता है ताकि दुनिया भर में लोगों को इस नामुराद बीमारी से अवगत करा कर इससे बचने के उपाय बताये जा सकें |इस खतरनाक ,लाइलाज बीमारी से अगर कोई ग्रस्त हो गया तो बस समझ लो वह मौत के मुहं में पहुंच चुका है उसके बचने का कोई भी उपाय नही है ,इस जानलेवा बीमारी से बचने का एक मात्र उपाय केवल सावधानी और बस सावधानी ही है ,यह एक ऐसा सुरक्षा चक्र है जो इस भयानक बीमारी से हर किसी को दूर रख सकता है ,वह है पति पत्नी का इक दूजे के प्रति उनका समर्पण भाव l

,हमारे हिन्दू धर्म में विवाह को सदा एक पवित्र रिश्ता माना जाता रहा है जिसमे पति के लिए पत्नी और पत्नी के लिए पति पूजनीय है ,कितना ही अच्छा हो अगर हम सब इस रिश्ते की गरिमा को समझ कर सदा अपने जीवन साथी के प्रति समर्पित रह कर एड्स जैसी घिनौनी बीमारी को सदा के लिए अपने से दूर रखें |इससे पहले कि महक जैसे अनेक भटके हुए युवा अपनी जवानी के नशे में जिंदगी के अनदेखे ,अनजाने रास्तों पर चल कर अपनी मौत को खुद ही आमंत्रित करें हम सबका यह कर्तव्य बनता है कि हम उन्हें सही राह दिखाते हुए इस बीमारी से बचने के लिए पति पत्नी के आपसी प्रेम के सुरक्षा चक्र के बारे में जानकारी दे कर उनका मार्गदर्शन करे ओर उनको एक स्वस्थ और खुशहाल जिंदगी की ओर अग्रसर करे l

रेखा जोशी 

Sunday, 26 November 2023

,पारिजात.


महकने लगी वसुधा
खिले जो पुष्प हरसिंगार के
सुगंधित शीतल चाँदनी में.
लिपटी धरा सफेद केसरिया 
फूलों की चादर से
बिखरे हैं धरा पर ज्यों 
अश्रु  तुम्हारे प्यार  के
पलता आंसुओ में प्रेम तेरा
बहते रहे रात भर.जो
प्रियतम अपने की याद  में
झरते रहते भोर तक
यह पुष्प पारिजात के

रेखा जोशी 

Friday, 24 November 2023

मुक्तक

मुक्तक 

प्यार से सबको यहां अपना बनाना है हमें
साथ रह कर जिन्दगी में मुस्कुराना है  हमें
जिन्दगी रूके नहीं है चार दिन की चाँदनी 
आज अपनों से यहां वादा निभाना है हमें

रेखा जोशी


Friday, 3 November 2023

"एक कप चाय और सौगंध बाप की"






"शर्मा जी ने हाल ही में सरकारी नौकरी का कार्यभार संभाला था,अपनी प्रभावशाली लेखन शैली के कारण वह बहुत जल्दी अपने ऑफ़िस में प्रसिद्ध हो गए। जिस किसी को भी अपनी रिपोर्ट उपर के ऑफ़ीसर को भेजनी होती थी, वह एक बार उनसे  राय जरूर ले लेता था। उसी ऑफ़िस में कार्यरत एक कर्मचारी हर रोज़ शाम के समय शर्मा जी के कमरे में आकर मित्रता  के नाते बैठने लगा,और धीरे धीरे अपनी रिपोर्ट भी उनसे बनवाने लगा। जब शर्मा जी उसकी रिपोर्ट लिख रहे होते वह उनके लिए एक कप चाय मंगवा देता ,कुछ दिन तक यह सिलसिला चलता रहा और एक दिन  शर्मा जी को ऐसा लगा जैसे वह उन्हें चाय रिपोर्ट लिखने के बदले में पिला रहा है तो उसी क्षण उन्होंने उसके लिए लिखना बंद कर दिया।

शर्मा जी के मना करने पर वह कर्मचारी गुस्से से लाल पीला हो गया ,आव देखा न ताव एक घूंसा शर्मा जी की तरफ बढ़ा दिया जिसे उन्होंने  ने बीच में ही  काट उस कर्मचारी के मुख पर जोर से घूंसा जड़ दिया। आग की तरह जल्दी ही बात पूरे ऑफ़िस में फैल गई। दोनों को बड़े साहब ने बुलाया ,चोट लगे कर्मचारी के साथ पूरे स्टाफ की सहानुभूति थी और उसने भी रोते हुए बड़े साहब से अपने बाप की सौगंध खाते हुए कहा कि वह बिलकुल निर्दोष है ,नतीजतन शर्मा जी से लिखित स्पष्टीकरण माँगा गया। उस रात शर्मा जी सो न सके,सुबह उठते ही इस्तीफा लिख कर जेब में रखा और ऑफ़िस पहुंच गए।

वहां पहुंचते ही पता चला कि रात को उस कर्मचारी के पिता जी परलोक सिधार गए।"
 
रेखा जोशी 

खूबसूरत [लघु कथा]

"खूबसूरत [लघु कथा]

शन्नो की सगी बहन मन्नु लेकिन शक्ल सूरत में जमीन आसमान का अंतर , अपने माता पिता की लाडली शन्नो इतनी सुंदर  थी मानो आसमान से कोई परी जमीन पर उतर आई हो ,बेचारी मन्नु  को अपने साधारण रंग रूप के कारण सदा अपने माता पिता की उपेक्षा का शिकार होना पड़ता था |शन्नो अपने माँ बाप के लाड और अपनी खूबसूरती के आगे किसी को कुछ समझती ही नही थी |एक दिन दुर्भाग्यवश उनकी माँ  बहुत बीमार पड़ गई ,सारा दिन बिस्तर पर ही लेटी रहती थी ,मन्नु ने अपनी माँ की सेवा के साथ साथ घर का बोझ भी अपने कंधों पर ले लिया ,उसकी नकचढ़ी बहन किसी भी काम में उसका हाथ नही बंटाती थी |धीरे धीरे मन्नु की मेहनत रंग ले आई और उसकी माँ के स्वास्थ्य में सुधार होना शुरू हो गया,अपनी बेटी को  इतना काम करते देख उसके माँ बाप की आँखों में आंसू आ गये ,उन्होंने उसे गले लगा लिया ,वह जान चुके थे असली खूबसूरती तो मन की होती है |"

रेखा जोशी 

Saturday, 28 October 2023

न जाने कहाँ चली गई ज़िंदगी

न जाने कहाँ चली गई ज़िंदगी

मेरे घर के पिछवाड़े आँगन में 
सुबह शाम  पंछियों का चहचहाना
शहतूत के घने पेड़ पर 
जो था रैन बसेरा 
अनेक जीवों का 
दूर करता था जो सूनापन 
बस्ती थी जहाँ अनेक ज़िंदगियाँ 
है आज वीरान  सुनसान 
लेकिन आता याद वही कलरव 
चहचहाना उनका 
न जाने कहाँ चली गई ज़िंदगी 
उनके साथ 

रेखा जोशी

Thursday, 19 October 2023

प्रियतम मेरे

प्रियतम मेरे 
फिर वही शाम वही तन्हाई 
दिल में मेरे वही दर्द ले कर आई 
....................................

प्रियतम मेरे 
ढूँढ़ रही है बेचैन निगाहें 
कहाँ खो गये दुनिया की भीड़ में
......................................

प्रियतम मेरे
मजनू बना प्यार में तेरे 
आईना भी नही पहचानता मुझे
............................................

प्रियतम मेरे 
दर्देदिल ने कुछ ऐसा किया 
हो गया मै तुम्हारा उम्र भर के लिए
......................................... 

प्रियतम मेरे
हो न जाऊं कहीं पागल मै 
स्वाती अमृत की बूंद मुझे दे 

रेखा जोशी

Sunday, 15 October 2023

उलझन ही उलझन

अनभिज्ञ
दिल और दिमाग
नही पहचानते
अलग अलग दोनों
इक दूजे से 
.
दिल और दिमाग में 
शुरू हुई तकरार
खींच रहे मानव को
सोचना काम दिमाग का
लेकिन
दिल है कि मानता नही
खेलअपना दिखाता
डाल पर्दा सोच पर
भावना में बहा ले जाता 
अपनी बात मनवाता
अनजान रहा दिमाग
बेबस हुई सोच
दिल और दिमाग
अलग अलग दोनों
इक दूजे से
.
उलझन ही उलझन
सुलझती नहीं
किया वार फिर दिल ने
घेर लिया सोच को
जज़्बातों ने
धुंधुला गये नयन
बेबस हुई सोच
सुन्न हुआ दिमाग
न जाने रहेगी कब तक
तकरार जारी दोनों में
दिल और दिमाग
अलग अलग दोनों
इक दूजे से
.
रेखा जोशी

Monday, 2 October 2023

भारत का लाल -श्री लाल बहादुर शास्त्री की याद में

भारत का लाल -श्री लाल बहादुर शास्त्री की याद में 

सन 1965 ,जब जम्मू कश्मीर में भारत पाक सीमा पर युद्ध का शंखनाद बज चुका था ,एक रात अमृतसर में अपने घर के आंगन में मै अपने परिवार के संग गहरी नींद में सोई हुई थी तब उपर आसमान को चीरते हुए  दो लड़ाकू विमान एक के पीछे दूसरा  तेजी से रात की नीरवता भंग करते हुए निकल गए लेकिन नीचे जमीन पर हम सब के दिलों की धडकने बढ़ा गए ,चौंक कर हम सब अपने बिस्तरों से उठ कर बैठ गए , कुछ ही देर बाद जोर से रुक रुक कर खतरे का साइरन बज उठा तभी मेरे पापा ने कहा ,''जंग शुरू हो गई '',हम सब जल्दी से अंदर कमरों की तरफ भागे और तत्काल सारे घर की बत्तिया बंद कर दी |

अमृतसर जो भारत और पकिस्तान की सीमा रेखा पर स्थित है, वहां सीमा पर दोनों देशों की ओर से दनादन चल रही गोलियों के धमाकों  से थर्रा उठा था ,उसकी धमक हमारे घर की खिड़कियाँ और दरवाजों तक पहुंच रही थी ,वह काली रात देखते ही देखते आँखों ही आखों में कट गई | सुबह हर रोज़ की तरह मै तैयार हो कर कालेज पहुंची  तो वहाँ का नजारा देखने लायक था , छात्रों में देशभक्ति का जोश हिलोरे मार रहा था ,,''भारत माता की जय , शास्त्री जी अमर रहें 'के नारे चारो ओर गूँज रहे थे ,तभी किसी ने हमे यह समाचार सुनाया ,''भारतीय फौजे आगे बढ़ रहीं है ''यह सुनते ही हम सबके चेहरों पर ख़ुशी की लहर दौड़ उठी ,''अरे वाह अब तो दोपहर का भोजन लाहौर में करेंगे ''किसी एक छात्र की आवाज़ कानों में पड़ी | ऐसी एकता ,ऐसा देश भक्ति का जस्बा  था उस समय लोगों में ,लाल बहादुर शास्त्री जी हम सब भारतवासियों के आदर्श नेता बन चुके थे ,उनकी एक आवाज़ पर लोग अपनी जान तक नौछावर करने को तैयार थे ,इस देख की रक्षा करने  वाले फौजी भाइयों को देश की नारियाँ राखियाँ  बाँध कर जंग के लिए विदा  किया करती थी और हँसते हँसते अपने आभूषण उतार कर इस देश की सुरक्षा पर वार दिया करती थी | 

 उन दिनों  टी वी नही हुआ करता था इसलिए  हम सब रेडियो पर कान लगाये अपने देश के सिपाहियों के वीरता के किस्से सुना करते थे और पकिस्तान के झूठे किस्सों की पोल खोलता ,''ढोल की पोल ''कार्यक्रम हम सबका पसंदीदा कायर्क्रम हुआ करता था |उस समय देश भक्ति  से ओत प्रोत देशवासियों को लाल बहादुर शास्त्री जी ने एक नारा दिया ,''जय जवान जय किसान ''  तब देश में गेहूँ की आपूर्ति से निबटने के लिए उनके एक आव्हान पर समूचे देशवासियों ने सोमवार को एक वक्त का भोजन खाना बंद कर दिया था ,हम भी उन दिनों सोमवार की रात को भोजन नही  किया करते थे ,कई लोगों ने अपने घरों में ,छोटी छोटी जगह पर भी गेहूँ की फसल लगानी शुरू कर दी थी | देखने में भले ही उनका कद छोटा था लेकिन उनके व्यक्तित्व के प्रभाव में पूरा देश था ,कहते है यथा राजा तथा प्रजा ,उस कहावत की  वह एक जीती जागती मिसाल थे ,उनकी ही तरह जनता नैतिकता और ईमानदारी की कद्र किया करती थी l

जंग समाप्त होने के पश्चात जब मैने समाचारपत्र में पढ़ा था कि वह संधि पर हस्ताक्षर करने ताशकंद जाने वाले है तब उनके ताशकंद जाने से  दो दिन पूर्व  मेरी छोटी बहन को ,जो अब एक डाक्टर है ,भयानक सपना आया , जिसे उसने सुबह होते ही मुझे सुनाया , ,''उसने सपने में देखा था कि शास्त्री जी का ताशकंद में निधन हो गया '',सपने तो सपने होते है और और ऐसा कहते भी है अगर ऐसा स्वप्न देखो तो उस शख्स कि आयु बढ़ जाती है, यह सोच हमने उस सपने  पर ज्यादा गौर नही किया लेकिन 11 जनवरी 1966 सुबह सात बजे के समाचार सुनते ही हम दोनों बहने बिस्तर से उछल कर बैठ गई और एक दूसरे का मुख देखने लगी ,जितनी रहस्यमय शास्त्री जी की मौत थी उतना ही रहस्यमय मेरी बहन का वह स्वप्न था जो आज भी रहस्य बना हुआ है ,उसे उनकी मृत्यु का पूर्वाभास कैसे हो गया था ? 

शास्त्री जी के महान व्यक्तित्व  ने  हमारे दिलों पर उस समय जो गहरी छाप छोड़ी थी उसके निशान आज भी बरकरार है | 
जय भारत जय हिन्द 

Wednesday, 20 September 2023

मुक्तक

मुक्तक 

आओ मिल कर ज़िंदगी में करें सबसे हम प्यार
जीवन में अपनी गलतियों को करें हम स्वीकार 
हो जाती गलती किसी से क्योकि हम है इंसान 
क्षमा करें दिल से किसी को करें खुद पर उपकार

रेखा जोशी

Thursday, 7 September 2023

ओम सत्य स्वरूप

गीतिका
आधार छन्द - मंगलमाया(11,11 पर यति)

समांत अन ,अपदांत

भज ओम नाम बन्दे, शान्त करे ये मन
ध्वनि गूंजती जब, भये कम्पित तब तन
..
वेदों की ऋचाएं, ओम सत्य स्वरूप
महिमाओम की है, सदा परम सनातन
..
ओ उ म में समाया, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड
कर ले गूंगा भी , ओम नाम उच्चारण
..
जपे जो ओम नाम, हुआ उसका कल्याण
ओम रूप साकार,, ओम ही है निर्गुण 

ओम नाम काट दे, ,जग में सब के पाप
कण कण में गूंजे, ओम नाम की गुंजन 

रेखा जोशी

Monday, 28 August 2023

क्षणिकाएँ

क्षणिकाएँ 
ओ पंछी छोड़ पिंजरा 
भर ले उड़ान 
नील गगन में 
सांस ले तू
उन्मुक्त खुली हवा में 
तोड़ बंधन 
फैला कर पँख 
ज़मीं से अम्बर 
छू लेना तुम 
अनछुई ऊँचाईयाँ
………………
बहता पानी नदिया का 
चलना नाम जीवन का 
बहता चल धारा संग 
तुम में रवानी
है हवा सी 
खिल उठें वन उपवन 
महकने लगी बगिया 
रुकना नही चलता चल 
................ 
3
खिलती है 
कलियाँ 
महकती है 
बगिया 
बिखरती रहे 
महक 
दोस्ती की 
बनी रहे दोस्ती 
हमारी सदा 
रेखा जोशी

Wednesday, 9 August 2023

ज़िन्दगी गुज़र गई

देखते ही देखते 
ज़िन्दगी गुज़र गई
वही  है धरती
आसमां भी वही
वक्त के साथ
तस्वीर अपनी बदल गई
कभी-कभी 
देखते हैं मुड़ के पीछे 
क्या खोया क्या पाया 
ज़िन्दगी में हमने 
दिखाई देती है कुछ 
धुंधली सी परछाइयाँ 
याद आते ही 
आँखे नम हो गई 
था सुहाना बचपन 
बेफिक्र मौज मस्ती का आलम 
कब आई जवानी कब बीता बचपन 
हवा के झोंके सी उम्र निकल गई 
देखते ही देखते 
ज़िन्दगी गुज़र गई 

रेखा जोशी

Wednesday, 2 August 2023

दोहे, भारत रहा पुकार

 रेखा जोशी

उठो सपूतों देश के , भारत रहा पुकार ।

भारत पर तुम मर मिटो ,हो जाओ तैयार ॥

आन बान पर देश की ,लाखों हुये शहीद ।

सीमा पर उत्सव मने ,क्या होली क्या ईद ॥

भारत सीमा पर खड़े ,तन कर वीर जवान ।

आँच न आए देश पे ,हो जायें कुरबान ॥

हमारी जन्म भूमि की ,माटी है अनमोल ।

लगाएँ माटी से तिलक नाही इसका मोल ॥

पावन सबसे भूमि ये, झुका रहे हैं शीश l

रक्षा सदा इसकी करें, प्रभु देना आशीष ll

Sunday, 23 July 2023

ज़िंदगी को मुस्कुराना आ गया....

आप को वादा निभाना आ गया 
ज़िंदगी को मुस्कुराना आ गया
.... 
गीत गाते यह नज़ारे आज तो 
अब हमें भी गुनगुनाना आ गया 
..... 
यह बहारे यह समय ठंडी हवा 
आज दिल को खिलखिलाना आ गया 
.... 
चाँद उतरा अब हमारे अंगना 
रोशनी को झिलमिलाना आ गया 
.... 
रूठ कर साजन न तुम जाना कहीं 
प्यार में हम को मनाना आ गया 

रेखा जोशी

Saturday, 8 July 2023

चिर प्यास मेरी

ख़्वाबों के महल में
करना चाहती कैद
धूप को
जगमगा उठे वहाँ 
कोना कोना
रोशन हो जायें दीवारे वहाँ
इन्द्रधनुष के रंगों से
खिलखिलाये जहाँ
महकती खुशियाँ
हूँ जानती सजे गा इक दिन
मेरा सपनो का महल
और बुझे गी इक दिन
चिर प्यास मेरी
नहीं ओस की बूँदों से
भर जाये गा तब
मेरे अंतर्मन का
घट अमृत की
बूँद बूँद से

रेखा जोशी

बढ़ता चल निरंतरपूर्णता की ओर

आये कहाँ से
हम
इस दुनिया में
जाएँ गे कहाँ
हम
नही जानते
क्या है मकसद
इस जीवन का
खाना पीना और सोना
याँ
पोषण परिवार का
करते यह तो पशु पक्षी भी
ध्येय मानव का
है कुछ और
जगत में आया
उत्थान कर अपना
कुछ कर कर्म ऐसा
और
बढ़ता चल निरंतर
पूर्णता की ओर
रेखा जोशी

Thursday, 15 June 2023

जीवनक्रम

छंदमुक्त रचना

समय धारा के संग 
बहता रहा जीवन सारा
युगों युगों से 
इस धरा पर रात दिन छलते रहे
और चलता रहा यूहीं
निरंतर जीवनक्रम हमारा 

हर पल हर क्षण यहाँ पर
आते जाते है मुसाफिर
है कहीं पर हास और
रूदन है कहीं पर
गागर ख़ुशी से भरी 
कहीं कलश गम के.भरे
धूप आँगन में खिले 
कहीं छाये बादल धनें
और चलता रहा यूहीं
निरंतर जीवनक्रम हमारा

फिर भी धूप छाँव से 
सजा जीवन यह हमारा
है बहुत अनमोल
आओ जी लें यहाँ
हर ऋतु हर मौसम
हँसने के पल पाकर हँसले
और रोने के रोकर
दो दिन के इस जीवन का
जी लें हर पल हर क्षण 
और चलता रहे यूहीं
निरंतर जीवनक्रम हमारा

रेखा जोशी


Wednesday, 14 June 2023

बन जाओ फिर काले बादल


छंदमुक्त  रचना 

श्वेत बादल
हो नील नभ के 
क्यों खड़े हो आज अविचल
भर कर गहरे रंग 
बन जाओ फिर काले बादल 

झुलस गये पेङ पौधे
गर्म हवाओं से
ठूठ रहा खङा निहारता 
जीने की आस लिए
बरस जाओ फिर इक.बार
भर कर गहरे रंग 
बन जाओ फिर काले बादल 

अंर्तघट तक जहाँ
है प्यासी प्यासी धरा
उड़ जाओ संग पवन के
बरसा दो अपनी
अविरल जलधारा
तृप्त कर दो धरा वहाँ
कर दो अवनी का
आँचल हरा
बिखेर दो खुशियाँ  यहाँ वहाँ
भर कर गहरे रंग 
बन जाओ फिर काले बादल 

रेखा जोशी






Thursday, 8 June 2023

इक छोटू

जाने कहां 
खो गया बचपन 
अक्सर दिख जाता है
किसी ढाबे या चाय की दुकान पर
इक छोटू 

पढ़ने लिखने की बाली उम्र 
गंदे जूठे बर्तन धोते छोटे छोटे हाथ
लाचार, बेबस 
सूनी आंखों से निहारता
डांट खाता हुआ अपने मालिक की
थप्पड़ों की गूँज से आहत
अक्सर दिख जाता है
किसी ढाबे या चाय की दुकान पर
इक छोटू 

नन्हे नन्हें कन्धों. पर
जिम्मेदारियों का बोझ उठा रहा
न जाने किस जुर्म की सजा पा रहा
किसका कर्ज चुका रहा
बेचारा बच्चा
अक्सर दिख जाता है
किसी ढाबे या चाय की दुकान पर
इक छोटू 

रेखा जोशी


Sunday, 16 April 2023

गीत



गीत 

आधार छंद  भुजंगप्रयात

122 122 122 122

कहानी हमारी रही अनकही  है 
किसी को हमारी खबर ही नहीं है 

अधूरे रहे आज सपने हमारे 
चले संग अपने गगन चांद तारे 
मगर घर यहां चाँदनी भी नहीं है 
किसी को हमारी खबर ही नहीं है 

खुशी थी बहुत जिंदगी साथ पा कर 
डुबाया हमें आज मझधार ला कर 
किनारे लगी आज नैया नहीं  है 
किसी को हमारी खबर ही नहीं है 

कहानी हमारी रही अनकही है 
किसी को हमारी खबर ही नहीं है 

रेखा जोशी 














Monday, 10 April 2023

पेड़ की व्यथा

शीर्षक। पेड़ की व्यथा 

किसे सुनाऊँ मैं व्यथा अपनी 
किस हाल में हूँ मैं अब 
कभी था  मैं  भी जीवंत 
झूम उठती थी तब हरी भरी  
फूलों फलो से लदी डालियाँ मेरी 

खड़ा था सीना तान कर अपना 
नहीं डरा तूफ़ानों से कभी 
परिंदों के  घरौंदों से भरा था तन मेरा
था  गूँजता पंछियों का कलरव 
सुबह शाम 
चिड़ियों की चहक, कोयल की कुहूक
थिरकता था मधुर संगीत 
शीतल हवाओं में 
झूम उठती थी  तब हरी भरी  
फूलों फलो से लदी डालियाँ मेरी 

भरी दोपहरी में कभी 
शीतल छाया से मेरी  
पथिक कोई थका हारा र
घड़ी दो घड़ी कर विश्राम 
पा कर सकून 
निकल पड़ता राह अपनी 
झूम उठती थी तब हरी भरी  
फूलों फलो से लदी डालियाँ मेरी 

दिया अपना सब कुछ 
मानव तुम्हें 
काट काट कर जंगल तुमने 
अंग भंग कर दिया मेरा 
किसे सुनाऊँ मैं व्यथा अपनी 
किस हाल में हूँ मैं अब 
कभी था मैं भी जीवंत 
झूम उठती थी तब हरी भरी  
फूलों फलो से लदी डालियाँ मेरी 

रेखा जोशी 

Saturday, 8 April 2023

करेंगे याद तुमको हम उमर भर

1222 1222 122
हमारी ज़िंदगी हमसे खफा है
ज़माना ज़िन्दगी पीछे पड़ा है
,,
नही चाहा कभी हम दूर जायें
करें क्या प्यार लेता इम्तिहाँ है
,,,
न आयें हम यहाँ पर लौट कर फिर
नही तुम भूलना हमको पिया है
,,,
करेंगे याद तुमको हम उमर भर
करेंगे फिर नही तुमसे गिला है
,,,
गई है अब उजड़ दुनिया हमारी
नहीं कोई खुशी ग़म ही मिला है 


रेखा जोशी

Saturday, 1 April 2023



आधार छंद- राधेश्यामी छंद 
32 मात्रा, 16 16 मात्रा पर यति, 

समान्त- ,आरी 
पदान्त है 

तोता मैना तो बहुत सुने ,अब तेरी मेरी बारी है 
हम संग संग रहेंगे सदा ,यह तो कहानी हमारी है
..
जियेंगे संग संग मरेंगे ,साथ हम तुम दोनों रहेंगे 
अब तो कदमों तले हमारे, साजन दुनिया यह सारी है
,
राहें जुदा हो  ना हमारी, चलते रहें हमसफर यूँही 
सूरज की तपिश हो कहीं या, छाई कहीं घटा कारी है
,
मिलकर संग चलेंगे दोनों,कदम से कदम मिलाकर सदा 
बहका बहका मौसम प्यारा ,कुहुके कोयल हर डारी है
,
गुंजित भँवरे कली मुस्काए, है उपवन उपवन फूल खिले
प्यार का हमें उपहार मिला, महकने लगी फुलवारी है

रेखा जोशी


Tuesday, 28 March 2023

आधार छंद - वाचिक स्रग्विणी

गीत 

आधार छंद - वाचिक स्रग्विणी 

मापनी - 212 212 212 212
 मुस्कराते चले गुनगुनाते चले 
हर खुशी जिंदगी में मनाते चले

मुस्कुराती रही  है बहारें यहाँ 
गुनगुनाते  रहे  हैं नजारे  यहाँ 
साथ ग़म का सदा हम निभाते चले
हर खुशी जिंदगी में मनाते चले
..
रात काली अँधेरी घनी थी मगर
लाख ग़म भी खड़े राह में थे मगर 
चांद की चांदनी से नहाते चले
हर खुशी जिंदगी में मनाते चले
..
ये उदासी भरे दिन मिले हैं बहुत 
ठोकरें दी हमें जिंदगी ने बहुत 
आस का संग दीपक जलाते चले
हर खुशी जिंदगी में मनाते चले
..
मुस्कराते चले गुनगुनाते चले 
हर खुशी जिंदगी में मनाते चले

रेखा जोशी 

Wednesday, 1 February 2023

मौन का रिश्ता


अपने प्यार की तुम
सदा करते हो
हम पर बरसात
कैसे समझ जाते हो तुम
हमारी खामोश
पुकार को
नहीं कहते जो
अपनी जुबां से हम
पूरी कर देते हो तुम
हे मेरे प्रभु
हाँ मौन का रिश्ता
है तेरे मेरे बीच
एक अटूट बंधन
मेरे हिय को
भर देते हो प्रेम से
बस मै और तुम
दोनों खामोश
लेकिन
होती है अनगिनत बाते
हम दोनों के बीच
अच्छी लगती है
वह खामोशी
जब होते हो तुम
पास मेरे
और
घंटों करते है हम
खामोश रहते हुए
बातें
इक दूजे से

रेखा जोशी

Tuesday, 24 January 2023

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामना

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं, 

बसंती  रंग छाया 

मौसम बहार का 

खुशी भी संग लाया 

..

कोयल बगिया आई

गूंज  भौरों की 

है  बाजत शहनाई 

..
चूनर  ओढ़ी  पीली 

सरसों खेतों में 

सोने सी चमकीली 

..

बासंती पवन चलें

 हिलोरें दे रही 

 नीले गगन के तले

रेखा  जोशी 

Tuesday, 10 January 2023

जिंदगी खर्च होती रही

दिन प्रतिदिन

जिंदगी खर्च होती रही वक्त, बेवक्त,पल पल

कल आज और कल में

खर्च करते रहे जिंदगी के लम्हें

जिंदगी खर्च होती रही मायूसियों में कभी नाकामियों में

भूल जाते हैं जीना अक्सर जिंदगी हम

जीवन की आपाधापी में

रुकता नहीं वक्त जिंदगी की राहों में

छोटी सी जिंदगी के हर लम्हें को

खर्च करो दिल खोल कर जीवन में

कभी महका लो हर लम्हा खुशनुमा जिंदगी का

बिखेर कर फूल जीवन की राहों पर

कभी कहीं फैला दो उजियारा दीपक बन

रोशन कर आँगन किसी का

रोशन कर आँगन किसी का

रेखा जोशी