महक उठी आज तमन्नाऐं दिल की
गुजरे हो जब से इन गलियों से तुम
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खिल उठे तन्हाई के हसीन लम्हे
यादों में हमारी जब गुजरते तुम
बहारे सकून की छा जाती हर ओर
ख्यालों में हमारे जब आते हो तुम
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खिल उठती है बगिया मेरे दिल की
जब गुनगुनाती मै तुम्हारे वह गीत
सहेज रखी है अब तलक वही यादे
समाये हो जिसमे सिर्फ तुम ही तुम
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महक उठी आज तमन्नाऐं दिल की
गुजरे हो जब से इन गलियों से तुम
रेखा जोशी
रेखा जोशी
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