Saturday, 2 August 2014

सावन की भीगी रातों में ठंडी फुहार रुलाती है

सावन की भीगी रातों में ठंडी फुहार रुलाती है 
घनघोर घटा संग दामिनी गगन पर रास रचाती है 
छुप गया चंदा बदरा संग तारों की बारात लिये 
लगा कर अगन शीतल हवायें बिरहन को सताती है


रेखा जोशी

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