जब सिमटते है उजाले रात का दामन पकड़
फिर सुबह लाती नई खुशियाँ यहाँ दामन पकड़
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देख तेरे नैन हम उसमे समा कर रह गये
बाँध कर तुमने हमें क्यों अब रखा दामन पकड़
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तुम हमे क्यों कर सताते हो सदा यूँ ही सनम
छोड़ कर गर चल दिये आना वहाँ दामन पकड़
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रात के साये हमें रह रह डराते है सनम
साथ रहना तुम कभी मत छोड़ना दामन पकड़
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रात फिर से डूब जाये गी अँधेरे में सनम
साथ जीवन में अँधेरों का मिला दामन पकड़
रेखा जोशी
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