क्षणिकाएँ
1
ओ पंछी छोड़ पिंजरा
खिलती है
कलियाँ
महकती है
बगिया
बिखरती रहे
महक
दोस्ती की
बनी रहे दोस्ती
हमारी सदा
1
ओ पंछी छोड़ पिंजरा
भर ले उड़ान
नील गगन में
सांस ले तू
उन्मुक्त खुली हवा में
उन्मुक्त खुली हवा में
तोड़ बंधन
फैला कर पँख
ज़मीं से अम्बर
छू लेना तुम
अनछुई ऊँचाईयाँ
………………
2
बहता पानी नदिया का
………………
2
बहता पानी नदिया का
चलना नाम जीवन का
बहता चल धारा संग
तुम में रवानी
है हवा सी
है हवा सी
खिल उठें वन उपवन
महकने लगी बगिया
रुकना नही चलता चल
................
3खिलती है
कलियाँ
महकती है
बगिया
बिखरती रहे
महक
दोस्ती की
बनी रहे दोस्ती
हमारी सदा
रेखा जोशी
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