पतझड़ सा
वीरान है यह दिल
बिन तुम्हारे
है मालूम
है मालूम
नही आओ गे तुम
न जाने इंतज़ार
फिर भी क्यों
हमे है तुम्हारा
सुन रही तड़प मेरी
यह उदास शाम
शांत सागर
लेकिन
संग मेरे
ले रहा सिसकियाँ
यह सारे नज़ारे
पुकार रहे तुम्हे
सुन रही तड़प मेरी
यह उदास शाम
शांत सागर
लेकिन
संग मेरे
ले रहा सिसकियाँ
यह सारे नज़ारे
पुकार रहे तुम्हे
गुम है यह दिल
जुस्तजू में तेरी
और
तलाश रही तुम्हे
मेरी नम आँखे
मेरी नम आँखे
रेखा जोशी
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