Friday, 29 August 2014
समायें तुझ में हम जैसे जलधार सागर में
जैसे मिले जल नदिया का आपार सागर में
खो देता मिल कर नीर भी आकार सागर में
एकरस हो जायें हम भी मिले जब ईश तुमसे
समायें तुझ में हम जैसे जलधार सागर में
रेखा जोशी
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