Monday, 18 August 2014

किशोरावस्था का प्यार


सावन के अंधे को जैसे सब ओर हरा ही हरा दिखाई देता है वैसे ही जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते ही नवयुवक और नवयुवतियाँ दोनों के बीच एक दूसरे के प्रति आकर्षण इस कदर हावी हो जाता है कि जैसे सिवा उनकी मुहब्बत के इस दुनिया में और कुछ है ही नही, अपने आप को लैला मजनू ,रोमियो जुलीयट से कम नही समझते यह लोग |यही हाल था सोनू और अंशु का ,रात दिन एक दूसरे के ख्यालों में खोये हुए ,जैसे सारी की सारी दुनिया उन दोनों के बीच में ही सिमट कर रह गई हो ,कितनी विचित्र बात है माँ बाप ,भाई ,बहन और सारे रिश्ते नाते सभी पराये हो जाते है जब मुहब्बत के आईने में पागल प्रेमी देखने लगते है तब अपने प्रियतम के सिवा उन्हें और कुछ दिखाई ही नही देता |

, यह उम्र ही ऐसी है, किशोरावस्था का प्यार ,उस समय वह अपने शारीरिक और मानसिक विकास का आपस में सामंजस्य को तो स्थापित कर नही पाते लेकिन प्यार मुहब्बत की रंगीन दुनिया उनकी आँखों में बखूबी बस जाती है |जब अंशु की माँ ने उसे उसके कच्ची उम्र के प्यार के बारे में समझाना चाहा तो उसे अपनी माँ भी दुश्मन नजर आने लगी जो जिंदगी में उसकी खुशियाँ चाहती ही नही ,यह सोच ,भावना में बह कर बरबस अंशु की आँखों में आंसू आ गए ,उसने तो मन में पक्का निश्चय कर लिया कि अब चाहे कुछ भी हो वह शादी करेगी तो सिर्फ सोनू से ,अगर माँ बाप नही मानते तो वह सोनू के साथ भाग कर शादी कर लेगी ,जो भी अंजाम होगा देखा जायेया गा | 

अंशु के मम्मी पापा ने अपनी रजामंदी दे कर अपनी बच्ची की जिद और प्यार के आगे घुटने टेक दिए लेकिन जिस गाँव में वो रहते थे वहां की पंचायत ही इस रिश्ते के खिलाफ थी,उन दोनों का एक ही गोत्र का होना उनकी शादी में अड़चन पैदा कर रहा था जो सबकी परेशानी का सबब बन चुका था |न जाने कितने ही मासूम बच्चों ने जात पात ,खाप पंचायतों ,माँ बाप व् अन्य रिश्तेदारों की रजामंदी न मिलने के कारण मुहब्बत के आईने में इक दूजे को देखते हुए इस दुनिया से सदा के लिए विदा ले ली,यह सोच सोच कर अंशु के घरवाले बहुत परेशान थे,उसके माँ बाप बहुत दुविधा में पड़ गए ,इधर कुआं तो उधर खाई ,उन्होंने अंशु के बालिग़ होने तक इंतज़ार किया और फिर पुलिस प्रोटेक्शन ले कर उन दोनों की शादी कर दी | 

सोनू और अंशु एक दूसरे को पा कर फूले नही समा रहे थे लेकिन अभी भी उन के सिर पर पंचायत की तलवार तो टंगी हुई थी जो इस शादी का लगातार विरोध कर रही थी |किशोरावस्था के इस प्यार के कारण अनगिनत जिन्दगियां बर्बाद हो चुकी है और कई बर्बाद हो रहीं है ,कई नाबालिग लडकियाँ गलत हाथों में पड़ कर अपना जीवन तबाह कर बैठती है ,ऐसे लोगों की कमी नही जो प्यार भरी मीठी मीठी बातें कर इन बच्चियों को बहला फुसला कर शादी का वादा कर के याँ झूठ मूठ की शादी रचा कर उन्हें आगे बेच देते है याँ उन्हें नाजायज़ धंधा करने पर मजबूर कर देतें है |

|माँ बाप के लिए भी यह समय किसी परीक्षा से कम नही होता जो सदा अपने बच्चों का हित ही चाहतें है वह कैसे उन्हें गलत रास्ते पर चलने दे सकते है और बच्चे अपने बड़े बूढों की बातों को अनसुना कर अपनी मनमानी करना चाहते है ,वह इसलिए कि हम माँ बाप उन पर जरूरत से ज्यादा दबाव डाल कर अपनी बात मनवाना चाहते है | अपने बच्चों के किशोरावस्था में कदम रखते ही अगर माता पिता उन्हें अपने विशवास में ले कर उनके साथ मित्रतापूर्वक व्यवहार से उनकी हर अच्छी बुरी बात को समझने कोशिश करें और उनकी भावनाओं को समझ कर हर छोटी बड़ी बात को उनके साथ बांटना शुरू कर दें ,उनके दोस्तों और सहपाठियों को भी अपने बच्चों जैसा समझ कर समय समय पर उनके विचारों की भी जानकारी लेते रहें तो इसमें कोई दो राय नही होगी कि उनके बच्चे जिंदगी में कुछ भी करने से पहले एक बार अवश्य ही उनकी बताई हुई बातों को सोचे गे यां यह भी हो सकता है कि वह उनके बताये हुए रास्ते पर ही चलें ,अगर मान लो वह किसी के साथ प्रेम प्रसंग बढायें गे भी तो मुहब्बत के आईने में एक परिपक्व प्रेम ही उभर कर आये गा |

रेखा जोशी 

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