Saturday 16 August 2014

इक पंछी अकेला चला जा रहा

ढल गई शाम
अँधेरे के मुख में
जा रहा सूरज
छूट रहे सब साथी
सूनी डगर
तोड़ सभी रिश्ते नाते
छोड़ मोह माया के
बंधन
इक पंछी अकेला
दूर जा रहा
अँधेरा शाम का
अब
बढ़ा जा रहा

रेखा जोशी

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