Monday, 16 March 2015

कमल ही कमल

कमल नैन
शेषनाग शयन
सृष्टि उत्पन्न
………
जीवन जियें
कीचड़ में कमल
खिलता जैसे
………
खिलें भीतर
पहचान खुद को
कमल ही कमल
………
रेखा जोशी

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