थी किसी और की
जब तुम
क्यों आई ज़िंदगी में मेरी
थी करनी
जब ज़फ़ा तुमने
बाते वफ़ा की
क्यों करती रही
रख कर
अपने दिल में गैर को
हँस कर
क्यों मुझे रिझाती रही
खेलती रही
क्यों दिल से मेरे
टूट गया दिल हमारा
अब चैन से
क्यों नहीं रहने देती
रेखा जोशी
जब तुम
क्यों आई ज़िंदगी में मेरी
थी करनी
जब ज़फ़ा तुमने
बाते वफ़ा की
क्यों करती रही
रख कर
अपने दिल में गैर को
हँस कर
क्यों मुझे रिझाती रही
खेलती रही
क्यों दिल से मेरे
टूट गया दिल हमारा
अब चैन से
क्यों नहीं रहने देती
रेखा जोशी
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