Tuesday, 3 March 2015

टूटता ही रहा आईना ज़िंदगी का

है देखे ख्वाब हकीकत को नही देखा
देखा चेहरा मगर मन को नही देखा
टूटता  ही  रहा   आईना  ज़िंदगी का
है  देखी  ज़िंदगी  मौत को नही देखा

रेखा जोशी 

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