गुज़र जाता है वक्त
छोड़ पीछे
लगाने को डुबकियाँ
अनगिनत यादों के
सागर में
.
यादें जो
पलक बंद करते ही
तैरती है नैनों में
उठती है टीस कभी
और
भर जाते है नैन कभी
मुस्कुरा उठते है लब कभी
और
खिल उठता है मन
जब भर जाते है रंग ख़ुशी के
जीवन की
गागर में
.
वक्त के आंचल तले
भर जाते है गम के लम्हे
बिसरा कर सब
चलती रहती है ज़िंदगी
उम्मीद की
चादर लिये
रेखा जोशी
छोड़ पीछे
लगाने को डुबकियाँ
अनगिनत यादों के
सागर में
.
यादें जो
पलक बंद करते ही
तैरती है नैनों में
उठती है टीस कभी
और
भर जाते है नैन कभी
मुस्कुरा उठते है लब कभी
और
खिल उठता है मन
जब भर जाते है रंग ख़ुशी के
जीवन की
गागर में
.
वक्त के आंचल तले
भर जाते है गम के लम्हे
बिसरा कर सब
चलती रहती है ज़िंदगी
उम्मीद की
चादर लिये
रेखा जोशी
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