बहुत जी चुके शाम ओ सहर हम ये ज़िंदगी
पाया न चैन कभी दो पहर हम ने ज़िंदगी
दोस्तों बदल दिये मायने यहाँ ज़िंदगी ने
टूट पड़ी बन ज़ुल्म ओ कहर हम पे ज़िंदगी
रेखा जोशी
पाया न चैन कभी दो पहर हम ने ज़िंदगी
दोस्तों बदल दिये मायने यहाँ ज़िंदगी ने
टूट पड़ी बन ज़ुल्म ओ कहर हम पे ज़िंदगी
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment