Wednesday 4 March 2015

यादों के दीये

मानस पट
टिमटिमाते रहें
यादों के दीये

यादें अमिट
बचपन हमारा
खुला पिटारा

स्मृति के साये
नहीं पीछा छोड़ते
नैन  में छाये

याद तुम्हारी
हृदय में समाई
बनी कहानी

रेखा जोशी 

No comments:

Post a Comment