आओ हम भोर से संदेश नया नित लें
चहचहा रहे पंछी उड़ते नील नभ पे
बिखरने लगी अरुण की सुनहरी रश्मियाँ
तेजस्वी लालिमा बाहों में आज भर लें
रेखा जोशी
चहचहा रहे पंछी उड़ते नील नभ पे
बिखरने लगी अरुण की सुनहरी रश्मियाँ
तेजस्वी लालिमा बाहों में आज भर लें
रेखा जोशी
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