ज़िंदगी नित नया रूप ले बदल रही
कल आज और कल में नित ये ढल रही
पल पल में फिसल रहा हाथ से यह पल
सुख दुःख की लहर पे नित ये चल रही
रेखा जोशी
कल आज और कल में नित ये ढल रही
पल पल में फिसल रहा हाथ से यह पल
सुख दुःख की लहर पे नित ये चल रही
रेखा जोशी
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