Tuesday, 8 December 2015

दया हम माँगते तेरी सदा भगवन यहाँ पर

ख़ुशी  पाई  जहाँ  में  आज  हमने  बंदगी में
खुदा का फ़ज़्ल है जो आप आये ज़िंदगी  में
..
मिले जो तुम हमे हम को  मिला सारा जहाँ अब
करम हम पर नवाज़ा अब खुदा  ने ज़िंदगी में
...
छुपा ली आप की तस्वीर हमने इस  जहाँ  से
नही कोई हमें  अब गम सताये   ज़िंदगी में
....
चलो साजन चलें मिल कर कहीं और' यहाँ से
रहें हम  दूर  दोनों इस जहाँ से ज़िंदगी में
....
दया हम माँगते तेरी सदा भगवन यहाँ पर
सदा रखना कृपा प्रभु तुम यहाँ पे ज़िंदगी में

 रेखा जोशी

Monday, 7 December 2015

मुस्कुरा कर चाँद भी अब उतर आया ज़मीन पर

खूबसूरत   मौसम   देख   दिल    दीवाना   हो गया
शमा   की   दीवानगी   पर  दिल   परवाना हो गया
मुस्कुरा  कर  चाँद  भी  अब उतर आया ज़मीन पर
प्रियतम तुम से मिले अब तो  इक ज़माना हो गया

रेखा जोशी

Sunday, 6 December 2015

लम्बी होती परछाईयाँ [पूर्व प्रकाशित रचना ]

लम्बी होती परछाईयाँ  
दिला रही एहसास 
शाम के ढलने का 
उदास हूँ पर शांत 
ज़िंदगी की ढलती शाम 
आ रही करीब 
धीरे धीरे 
लेकिन 
पा रहीं हूँ सुकून 
मिला जो मुझे
तुम्हारा साथ 
लेकर 
हाथों में हाथ 
रहेंगे चलते 
साथ साथ 
जब तक किस्मत 
रखेगी हमे 
साथ साथ 


रेखा जोशी 

अपनी प्रतिभा से सबको मिलती पहचान


है देखा  देखी  से   कब   बनती   पहचान 
देख  अपने गुणों  को कर अपनी पहचान 
है जो  क्षमता  तुम मे  किसी और में नही
अपनी प्रतिभा से सबको मिलती पहचान

रेखा जोशी

दीप हूँ मै

हाँ
दीप हूँ मै
प्रज्वलित हो कर
भरता हूँ मै
उजाला
जहाँ रहता 
घना अँधेरा
रोशन कर
वहाँ लाता हूँ मै 
खुशियाँ
दीप ज्ञान का
तुम जलाओ इक 
दीप्त कर
हर अज्ञानता
रोशन कर लौ प्रेम की
ज्योति जग में
 तुम फैलाओ

 रेखा जोशी
हाइकु [सर्दी पर ]

सर्द  हवायें 
ठिठुरता बदन 
होंठ कांपते 
........ 
जला अलाव 
बीच सड़क पर 
सेंकते हाथ 
...... 
गिरती बर्फ 
पहाड़ो की चोटियाँ 
ऊँचे पर्वत 

रेखा जोशी 

Friday, 4 December 2015

कैसा मच रहा हाहाकार

जल  जीने का  जहाँ आधार
किया उसने अब यहाँ प्रहार
है करी  तहस नहस ज़िंदगी
कैसा   मच   रहा  हाहाकार

रेखा जोशी


घंटियाँ मंदिर की बजने लगी

बाती  दिये की  अब  जलने लगी
घंटियाँ   मंदिर   की  बजने लगी
कर   ली   तैयारी  पूजा   की अब
लगन प्रभु  चरणों में लगने लगी

रेखा जोशी

Thursday, 3 December 2015

इक दूजे के लिए [पूर्व प्रकाशित रचना ]

1st दिसंबर [AID'S DAY ] पर 

महक , एक खूबसूरत लड़की न जाने कैसे गलत दोस्तों के संसर्ग में आ कर ड्रग्स के  सेवन में उलझ कर रह गई ,मस्ती के आलम में एक ही सिरींज से  उसने अपने साथियों के साथ बांटा ,इस बात से अनभिज्ञ कि वह एक ऐसी जानलेवा बीमारी  को निमंत्रण दे चुकी है जो लाइलाज है ,जी हाँ एड्स यानीकि'‘एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम'' जिसका अर्थ है ''मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर अनेक बीमारियों का उस पर प्रहार '' जो की  एच.आई.वी''. वायरस से होती है.और  यह वायरस ही मनुष्य की प्रतिरोधी क्षमता  पर असर कर उसे इतना कमज़ोर कर देता है,जिसके कारण  खांसी ज़ुकाम जैसी छोटी से छोटी बीमारी  भी रोगी की जान ले सकती है |
यह जानलेवा बीमारी किसी भी इंसान में एच.आई. वी. ''ह्यूमन इम्यूनो डेफिसिएंशी वाइरस ''के पाजी़टिव होने से होती है ,लेकिन महक इन सब बातों से दूर थी उसने तो सिर्फ अपने एक साथी से ड्रग्स का इंजेक्शन ले कर लगाया था ,इस  बात से बेखबर कि उसने किसी एच आई वी पासिटिव व्यक्ति  के रक्त से संक्रमित हुए इंजेक्शन का सेवन कर लिया था,जिसने उसे मौत के मुहं की तरफ धकेलदिया था ,क्योकि इस बीमारी का इलाज तो सिर्फ  और सिर्फ बचाव में ही है ,अगर कोई''एच आई वी'' से ग्रस्त व्यक्ति किसी भी महिला यां पुरुष  से असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाता है तोवह उसे तो इस बीमारी  से ग्रस्त करता ही है और अगर इस  बीमारी से पीड़ित किसी पुरुष से कोई महिला गर्भवती हो जाती है तो उसके पेट में  पल रहे बच्चे को भी यह जानलेवा बीमारी अपनी ग्रिफ्त में ले लेती है ,इसी कारण हमारे देश में इस रोग से पीड़ित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है । 
समलैंगिक सम्बन्ध ,रेड अलर्ट एरिया भी भारी संख्या में इस खतरनाक बीमारी को फैलाने में अच्छा खासा  योगदान दे रहें है ,आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और अनैतिक संबंधों की बढ़ती बाढ़ से यह बीमारी और भी तेजी से फैल रही है,और  पूरे विश्व के लिए यह एक अच्छी खासी सिरदर्द बन चुकी है,यही वजह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इस बीमारी को बेहद गंभीरता से लिया है और हर वर्ष पहली दिसंबर को यह दिन ''विश्व एड्स दिवस''के रूप में मनाया जाता है ताकि दुनिया भर में लोगों को इस नामुराद बीमारी से अवगत करा कर इससे बचने के उपाय बताये जा सकें |इस खतरनाक ,लाइलाज बीमारी से अगर कोई ग्रस्त हो गया तो बस समझ लो वह मौत के मुहं में पहुंच चुका है उसके बचने का कोई भी उपाय नही है । 
इस जानलेवा बीमारी से बचने का एक मात्र उपाय केवल सावधानी और बस सावधानी ही है ,यह एक ऐसा सुरक्षा चक्र है जो इस भयानक बीमारी से हर किसी को दूर रख सकता है ,वह है पति पत्नी का इक दूजे के प्रति उनका समर्पण भाव ,हमारे हिन्दू धर्म में विवाह को सदा एक पवित्र रिश्ता माना जाता रहा है जिसमे पति के लिए पत्नी और पत्नी के लिए पति पूजनीय है ,कितना ही अच्छा हो अगर हम सब इस रिश्ते की गरिमा को समझ कर सदा अपने जीवन साथी के प्रति समर्पित रह कर एड्स जैसी घिनौनी बीमारी को सदा के लिए अपने से दूर रखें |इससे पहले कि महक जैसे अनेक भटके हुए युवा अपनी जवानी के नशे में जिंदगी के अनदेखे ,अनजाने रास्तों पर चल कर अपनी मौत को खुद ही आमंत्रित करें  हम सबका यह कर्तव्य बनता है कि हम उन्हें सही राह दिखाते हुए इस बीमारी से बचने के लिए पति पत्नी के आपसी प्रेम के सुरक्षा चक्र के बारे में जानकारी दे कर उनका मार्गदर्शन करे ओर उनको एक स्वस्थ और खुशहाल जिंदगी की ओर अग्रसर करे |

सुनहरे पल

चाहतें चाहते हमारी चाहतें 
कुछ पूरी कुछ अधूरी 
गुज़र जाती पल पल ज़िंदगी 
लेकिन ज़िंदा रहती 
हमारी चाहतें 
मरता है हर पल
दे कर जन्म इक नए पल को
बदकिस्मत है हम जो
नही जानते मोल
इस सुनहरे पल का
गवां  देते है इसे व्यर्थ ही
छोटी सी ज़िंदगानी
यूँ ही गुज़र जायेगी
रफ्ता रफ्ता
सीने में लिये लाखों अरमान
नही हाथ आयेगा फिर यह पल
पूरी कर ले
अपनी सारी  चाहतें 
गुज़रने से पहले
इस सुनहरे  पल के 

रेखा जोशी

Wednesday, 2 December 2015

है मुस्कुराता सुन्दर महकता सूरजमुखी

है  संग  संग  सूरज के खिलता सूरजमुखी
अरुण की रश्मियों से चमकता सूरजमुखी
पीले  आवरण  में  देखो सज रहा धरा  पर
है मुस्कुराता  सुन्दर  महकता सूरजमुखी

रेखा जोशी 

है काँटों में खिलती यह ज़िंदगी

फूलों  की  सेज नही यह ज़िंदगी
आँखे नम भी करती यह ज़िंदगी
है  कभी  महकते  फूल काँटों  में
है  काँटों में  खिलती यह ज़िंदगी

रेखा जोशी 

है बेटियाँ हमारे घरों की शान

है  बेटियाँ   हमारे  घरों   की  शान
पूरा  माँ  बाप  का  करती अरमान
न  बाँधो उन्हें अब  फैलाने दो पँख
भरने  दो  उन्हें  आज  ऊँची  उड़ान

रेखा जोशी 

Monday, 30 November 2015

खट्टे मीठे रिश्ते देते एहसास


है  जीवन   में  बनते  बिगड़ते  रिश्ते
दिल  की  गहराई   से  सँवरते  रिश्ते
खट्टे     मीठे   रिश्ते    देते    एहसास
यहाँ प्यार मुहब्बत से खिलते  रिश्ते
रेखा जोशी

आईना मुहब्बत का धुंधला सा गया

न कोई  शिकवा न शिकायत तुमसे
दिल के  जज़्बात  अब  कहें किससे 
आईना मुहब्बत का धुंधला  सा गया
देखी थी कभी तस्वीर ए यार जिसमे

रेखा जोशी 

Sunday, 29 November 2015

जाने क्यों आये सजन हमारी दुनिया में तुम

कट रही थी यहाँ  ज़िंदगी अच्छी भली हमारी
यह ज़िंदगी  बिन  तुम्हारे   बेहतर थी  हमारी
जाने  क्यों आये सजन  हमारी दुनिया में तुम
आ  कर  अब छीनी  तुमने हमसे ख़ुशी हमारी

रेखा जोशी

Wednesday, 25 November 2015

वक्त तो अब यह बदलने से रहा

गीतिका

फूल गुलशन में महकने  से रहा 
दिल हमारा अब बहलने से रहा 
रात  साजन नींद में अब सो  गई 
थाम दामन भोर चलने से रहा 

चाह तेरी इस कदर रुला गई 
नीर   नैनों  का बहने  से रहा 

पास आओ तुम कभी तो  हमसफ़र 
वक्त तो अब यह बदलने  से रहा 

साथ तेरा तो निभाया ज़िंदगी 
साथ तेरे आज  चलने से रहा 

रेखा जोशी 

शिक्षित बेटी है गर्वित ममतामयी अखियाँ

है  दुनिया हमारी बस  ममता की अखियाँ
है  ख़्वाब सजे  माँ की ममता भरी अखियाँ
जहाँ  मिला  वही  सजाया  आशियाँ हमने
शिक्षित बेटी है गर्वित ममतामयी अखियाँ

रेखा जोशी


हसरते मरती रही रूठी चाहते हमारी पल पल

सतरंगी  इस  दुनिया  में मिला  हमें कोई रंग नही
मिला साथ रिश्तों का सबको कोई हमारे संग नहीं
हसरते  मरती  रही  रूठी  चाहते  हमारी  पल पल
जी  रहे अब यहाँ ज़िंदगी लेकिन  कोई उमंग नही

रेखा जोशी 

जो न आया घर हमारे रौशनी कैसे कहूँ

जो न  समझे दर्द उसको आदमी कैसे कहूँ 
जी सके हम जो नही वह ज़िंदगी कैसे कहूँ 
…… 
आसमाँ पर चाँद निकला हर तरफ बिखरी किरण 
जो   न  उतरे   घर   हमारे   चाँदनी    कैसे   कहूँ 
...... 
मुस्कुराती हर अदा तेरी सनम जीने न दे 
हाल  अपने  की  हमारे   बेबसी कैसे कहूँ 
…… 
राह मिल कर हम चले थे ज़िंदगी भर के लिये 
मिल सके जो तुम न हम को वह कमी कैसे कहूँ 
…… 
हो  गया रोशन जहाँ जब प्यार मिलता है यहाँ 
जो न आया  घर हमारे रौशनी कैसे कहूँ 

रेखा जोशी 

Tuesday, 24 November 2015

रात काली यह सुबह में आज ढलनी चाहिये

रात  काली  यह  सुबह  में आज  ढलनी चाहिये  
ज़िंदगी  की  शाम  भी  साजन सँभलनी चाहिये 
इस  जहाँ में प्यार की  कीमत को'ई समझे नहीं
साज पर इक प्यार की धुन भी मचलनी चाहिये 

रेखा जोशी  

Monday, 23 November 2015

तड़पता दिल भूख से बिलखते बच्चे देख कर

टूटे    फूटे    झोंपड़ों     से    झाँकती   गरीबी 
नहाते बच्चे    छप्पड़ों   से   झाँकती   गरीबी
तड़पता दिल भूख से बिलखते बच्चे देख कर
फ़टे   पुराने    चीथड़ों    से  झाँकती    गरीबी

रेखा जोशी

विष्णुपद--छंद

विष्णुपद--छंद 
रघुवर राम ह्रदय में राखे , सबका करे भला 
जो जन जाने  पीर पराई , सबसे गले मिला। 
दीन दुखी  गले से लगाये  ,सबसे स्नेह करे 
उसको राह भगवन दिखाये ,उस पर कृपा रहे । 

छंद आधारित मुक्तक 
रघुवर राम ह्रदय में राखे , सबका करे भला 
जो जन जाने  पीर पराई , सबसे गले मिला। 
दीन दुखी  गले से लगाये  ,सबसे स्नेह करे 
उसको राह भगवन दिखाये,पुष्प वन में खिला । 

रेखा जोशी 

Sunday, 22 November 2015

सुन्दर मन करे कल्याण जन का


मल मल करते स्नान हम तन का
धो  लो  मैल अब  अपने   मन का
तन  सुन्दर  मन मैला किस काम
सुन्दर मन करे कल्याण  जन का

रेखा जोशी

नही मिली ज़िंदगी मुकम्मल यहाँ इसे ढूँढ़ते सभी जन


कहीं मिले ज़िंदगी कहीं ज़िंदगी तले मौत जीतना है 
मिली किसी को हजार खुशियाँ कहीं  मिली आज वेदना है 

नही  मिली ज़िंदगी मुकम्मल यहाँ इसे ढूँढ़ते सभी जन
मिले हमे ज़िंदगी जहाँ  में कभी यही आज कामना है

खिले यहाँ फूल राह में ज़िंदगी सुहानी बने  हमारी
ख़ुशी मिले  कब हमें जहाँ में सजन यही आज जानना है

यहाँ मिले गम हमें सुनाये किसे पुकारें किसे जहाँ में
नहीं हमारा जहान में  गम  हमें यहाँ आज  झेलना है

नहीं मिला प्यार ज़िंदगी आज शाम में ढल गई सजन अब
न रात गुज़री यहाँ न सुबह' हुई अँधेरा यहाँ घना है

रेखा जोशी






तैरते बादल नील गगन पे

तैरते 
बादल नील गगन पे  
रूप 
अपना भिन्न भिन्न 
आकृतियों में
बदलते 
हवा संग 
उड़ता जाये 
पागल मनवा मेरा 
सपनो 
को संजोये  
उभरती
आकृतियों में 
पिघल गई आकृतियाँ 
बादलो की 
बूँद बूँद बरसती 
धरा पे 
सपने मेरे घुल गये 
मोती से 
अश्को में झड़ने लगे
 नैनो से 
बरसती जलधारा में 

रेखा जोशी 

कहाँ से आये हम और जायेंगे फिर कहाँ


ज़िंदगी का  सफर  सभी को तय कर जाना है
बुनते  रहें    जीवन  में  हम   ताना   बाना  है
कहाँ  से  आये  हम  और   जायेंगे  फिर  कहाँ
न  कोई  मंज़िल  किसी की न ठौर ठिकाना है

रेखा जोशी 

Saturday, 21 November 2015

राह निहारती गोरी ,पिया मिलन की आस है

आओ चलें कहीं दूर ,
हाथों में लेकर हाथ , कहनी दिल की बात है । 
झूमते  नभ पर तारे ,
चाँदनी गुनगुना रही ,मुस्कुरा रहा चाँद है । 
खिलते सुमन उपवन  में ,
तितली नाचे झूम के ,छाई  बहार ख़ास है 
सजन गये अब परदेस ,
राह निहारती गोरी  ,पिया मिलन की आस है । 
चमका सूरज गगन पर ,
गुज़ारा  दिन यादों  में ,आई अब तो शाम है 

रेखा जोशी 









Friday, 20 November 2015

धोखा और फरेब मिलता यहाँ पर हर पल .

आसमान  में  शीतल  चांदनी   छाई है 
लहरें प्यार भरी यहाँ दिल में लहराई है
धोखा और फरेब मिलता यहाँ पर हर पल .
दिल   दीवाने न  जाना उधर परछाई है
रेखा जोशी


उमंग से भरी वह उछलती इठलाती

छोड़   कर   दामन  पहाड़ों   का  इतराती
उमंग   से   भरी   वह  उछलती  इठलाती
आकुल  नदिया  चली समाने  सागर   में
मिलने  प्रियतम  से लहराती   बलखाती

रेखा जोशी 

खिलेंगे फूल बगिया में कभी तो

निभाया  प्यार अब  हमने यहाँ पर
दिया   धोखा  हमें  तुमने  यहाँ  पर
खिलेंगे  फूल   बगिया  में कभी  तो
लगी महफ़िल पिया सजने यहाँ पर

रेखा जोशी

Thursday, 19 November 2015

लिए हाथों में हाथ चल रहें साथ साथ

आज
है कुछ ख़ास
पाया
मैने सुखद एहसास
सुबह सुबह
मुस्कुरा रहा खिड़की से
अरुण
बिखेर रहा स्वर्णिम रश्मिया
दे रहा बधाई हमे
देख उसे
पाया मैने सुखद एहसास

खिले मेरे अंगना
चालीस बसंत
हर सुबह
संग संग चले
हर रात
संग संग मुस्कुराये
जीवन भर
संग संग हँसे
संग  संग रोये
लिए हाथों में हाथ
चल रहें साथ साथ
मिला जो तेरा हाथ
पाया मैने सुखद एहसास

रेखा जोशी

Wednesday, 18 November 2015

आ रहे अब याद बीते दिन हमें

गीतिका
मापनी /बहर 2122 212 2 212

क्या ज़माना आ गया देखा यहाँ
अब  पढ़ा  बच्चा  रहा  समझा यहाँ

अब लगा कर आँख पर चश्मा नया
खोल पुस्तक फलसफा  देता यहाँ

याद आता प्यार से बचपन भरा
काश हम फिर  खेलते  खेला  यहाँ
....
दिन सुहाने खो  गये जाने किधर
ज़िंदगी का चल रहा मेला यहाँ
....
आ रहे अब याद बीते दिन हमें
ढल चुकी अब  शाम की बेला यहाँ

रेखा जोशी





Tuesday, 17 November 2015

बीत जायेंगी घड़ियाँ इंतज़ार की

याद मेरी  उनको जब आती होगी
आँसूओं के आँख भर जाती होगी
बीत  जायेंगी घड़ियाँ इंतज़ार की
मिलेंगे तब दिया संग बाती होगी

रेखा जोशी


Monday, 16 November 2015

बगिया महक उठी दिल को हर ख़ुशी मिल गई

तकदीर  से  मिले   तुम  तो  ज़िंदगी  मिल गई 
छट  गया   अंधेरा  हमें    रोशनी    मिल    गई 
खिल खिल गये यहाँ पर उपवन महक उठे तब 
बगिया महक उठी दिल को  हर ख़ुशी मिल गई 

रेखा जोशी 

भर दे उजाला जग में

बनाये जो 
मानव को मनुज 
करते उसे हम 
कोटि कोटि प्रणाम 
मिटा कर अंधकार 
प्रज्ज्वलित करे ज्ञान दीप 
करते उसे हम 
शत शत नमन 

प्रकाशित नभ पर 
भर दे उजाला जग में 
स्वर्णिम अरूण को 
करते नमस्कार 

रेखा जोशी 



मौन हूँ फिर भी मेरी लेते सुन पुकार

भक्ति  करते हम तेरी मन ही मन अपार 
मौन  हूँ  फिर  भी  मेरी  लेते   सुन  पुकार
हे भगवन अजब रिश्ता हम से  है तुम्हारा
कृपा  गर  सर पर  हो   देते  जीवन सँवार

रेखा जोशी 

Sunday, 15 November 2015

कब तक झुलसे गी मानवता आतंक के धमाकों से


बिछी   लाशें  रोती  आँखें  चारो  ओर  मचा  चीत्कार
अब छिन गया सबका सुख चैन है मच रहा   हाहाकार
कब  तक  झुलसे  गी मानवता  आतंक के धमाकों  से
करना   होगा   मिलकर  सबको  इन दरिंदों  का संहार

रेखा जोशी 

मौसम ने किया ऐसा इशारा


ज़िंदगी  में  दिवस  ख़ास  आ गये
घनन घनन घन अब रास आ गये
मौसम   ने   किया  ऐसा     इशारा
दूर   जा   रहे    वो   पास  आ  गये

रेखा जोशी 

Friday, 13 November 2015

है पंछी इक दूजे के साथी हम तुम


धरती  अम्बर  पर  उड़ते  साथी हम  तुम 
मिल जुल कर  बाते करते साथी  हम तुम 
गाना   गा   इक  दूजे  का   दिल  बहलाते 
है   पंछी   इक   दूजे  के  साथी  हम  तुम

रेखा जोशी 


Wednesday, 11 November 2015

खोये हम जाने कब से रहे भटक तन्हा तन्हा हम

दिल की लगी को 
दिल लगा कर
तुमसे
अब समझे हम 


छुपाये अपने नयनों में 
अश्क 
याद तेरी संग 

खोये हम
जाने कब से रहे  भटक
तन्हा तन्हा हम 

इक कसक इक  टीस 
दिल में छुपा कर 
खो गये  हो तुम

छोड़ा हमे 
सिसकते हुये 
लगाया 
दर्द सीने से 

याद को तेरी
बना लिया साथी 
उम्र भर के लिए  

दिल की लगी को
दिल लगा कर
तुमसे
अब समझे हम , 

रेखा जोशी

मेरी नन्ही सी प्यारी गुड़िया

मेरी नन्ही सी प्यारी  गुड़िया
भोली सूरत मासूम सा चेहरा
अपनी आँखों में चमक लिए
निहारती रहती है चेहरा मेरा
जिज्ञासा से भरे उसके नयन
 खोजते रहते है न जाने क्या
मोह लेती है वो निश्छल हसी
जब मुस्कुराती वो नन्ही परी
नन्ही नन्ही उँगलियों से जब
छूती है प्यार से चेहरे को मेरे
भर देती है वो तन मन में मेरे
इक नई उमंग इक नई तरंग
कभी खींच लेती आँचल मेरा
कभी सो जाती वो काँधे पे मेरे 
इस जिंदगी की शाम में उसने
आगमन किया नव भोर का

रेखा जोशी 

Sunday, 8 November 2015

ज़िंदगी यूँही चलती रहे

वक्त जो
है गुज़र जाता
छोड़ जाता पीछे कई
खट्टी मीठी यादें
है भर आती आँखें कभी
या लब पे
आती मुस्कान कभी
पर गुज़रा हुआ वक्त
नीव बन  संवारता
आने वाले
जीवन के पल
है भरता जीवन में रंग
दे जाता हमे सीख नई
भुला कर  दर्द वो
है छिपे जो
अतीत के आँचल तले
ज़िंदगी यूँही चलती रहे
होंठों पर
मुस्कान लिये

रेखा जोशी




चाहे तमस काली हो कितनी भी

दीपक  प्रेम   के यहाँ जलते रहें
सदा  बाती दिया सा  जलते  रहे
चाहे तमस काली हो कितनी भी
आस  के  दीपक सदा जलते  रहे

रेखा जोशी 

Saturday, 7 November 2015

खिले है फूल पल दो पल चमन में अब

सजन तेरी हमे जब याद आती है 
ख़ुशी रह रह पिया तब गीत गाती है 
.... 
मचल जाते यहाँ अरमान दिल में जब 
सुहानी रात भी तब गुनगुनाती है 
....
चले आओ पुकारें आज दिल मेरा 
चँदा की चाँदनी भी  अब बुलाती है 
.... 
पुकारे ज़िंदगी जी लो यहाँ हर पल 
अभी तो ज़िंदगी भी मुस्कुराती है 
.... 
खिले है फूल पल दो पल चमन में अब 
बहारें आज साजन खिलखिलाती है 

रेखा जोशी 


भरता रहे रब झोलियाँ सर हाथ हो प्रभु का सदा [हरिगीतिका छंद]

जलते  रहें  सब दीप अब ,चमके सदा घर अंगना 
मिलते  रहें  सब  प्यार से खिलता रहे घर अंगना 
भरता रहे रब  झोलियाँ  सर हाथ हो प्रभु का सदा 
करते  रहें  हम   वंदना  सजता   रहें  घर  अंगना 

रेखा जोशी 


Friday, 6 November 2015

खिले प्यार के फूल अब ज़िंदगी में


मिले  तुम सहारा मिला प्यार पाया 
मिली   ज़िंदगी आज  क'रार  पाया 
खिले प्यार  के फूल  अब ज़िंदगी में 
मिला प्यार जो  आज संसार पाया 

रेखा जोशी 

मिट कर पल पल भर देती है उजाला

है जलती  बाती  मिट जाने  के लिये 
आता  हर  पल  उसे जलाने के लिये 
मिट कर पल पल भर देती है उजाला 
है  रोशन  दीपक  जल जाने के लिये

रेखा जोशी 



Thursday, 5 November 2015

कभी कभी जिंदगी में ऐसे भी पल आते है

जब जीवन में अपने भी पराये हो जाते है
वक्त आने पर जब वो सब पीठ दिखा जाते है
 हमने तो  उनके लिए दिल ओ जान भी वार दिया
कभी कभी जिंदगी में ऐसे भी पल आते है

रेखा जोशी

Wednesday, 4 November 2015

सतरंगी रंग बिरंगी धरा हमारी

सुंदर  नज़ारों  से  भरी  धरा हमारी
हरे  भरे  वृक्षों  से सजी धरा हमारी
झिलमिलाती झीलें अनोखे है पर्वत
सतरंगी   रंग   बिरंगी   धरा हमारी

रेखा जोशी


भुजंग बना उसने चली ऐसी टेढ़ी चाल

अपने दिल का हाल उसे मीत मान बताया 
देखा   चेहरा    भोला   नही   पहचान  पाया 
भुजंग  बना   उसने  चली   ऐसी  टेढ़ी चाल 
आस्तीन  का सांप  बना  लेने जान  आया 

रेखा जोशी