Friday, 30 September 2016

पाक को हमने सबक अब है सिखाना

पाक को हमने सबक अब है सिखाना
आज भारत को जहाँ में है उठाना
.
साँस दुश्मन को मिटा कर आज लेंगे
साथ मिलकर है बुराई को मिटाना
.
मिट गये है देश पर लाखो सिपाही
आज कुर्बानी ज़माने को बताना
,
देश के दुश्मन छिपें घर आज अपने
पाठ उनको ढूँढ कर अब है पढ़ाना
.
प्यार से मिलकर रहें आपस सदा हम
आज मिलकर देश को आगे बढ़ाना
रेखा जोशी

ज़िन्दगी की कसम ज़िन्दगी मिल गई

देख  कर आप को यह ज़ुबाँ सिल गई  
मुस्कुराती हुई  हर  कली  खिल  गई 
पा  लिया  प्यार हमने  पिया का यहाँ 
ज़िन्दगी की कसम ज़िन्दगी मिल गई 

रेखा जोशी 


यूँ तो लाखों मिले तुम सी स्नेहिल नहीं मिली

ढूँढा  हर  गली प्रेम  भरी महफ़िल नहीं  मिली
यूँ  तो लाखों मिले तुम सी स्नेहिल नहीं  मिली
डगर  डगर  डोलते  रहे  नहीं  मिले  तुम   हमे
 है  राहें बहुत मिली मगर  मंज़िल  नहीं  मिली

रेखा जोशी 

Thursday, 29 September 2016

न तुम रूठना प्यार अपना दिखा कर

कहाँ ज़िन्दगी तुम चली हो  बुलाकर 
नहीं हम करेंगे गिला दिल दुखा कर 
.... 
दिखाते नहीं हाल दिल का किसी को 
सुनायें  किसे बात  अपनी  बता कर 
...... 
खिले फूल उपवन सजा आज अँगना 
गई ले सजन रंग  तितली चुरा कर 
.... 
चली  है हवा  आज  मौसम  सुहाना 
कहाँ  ले  गई  साथ  आंधी  उड़ा कर
... 
हमें  छोड़ जाना नहीं तोड़ना दिल 
न तुम रूठना प्यार अपना  दिखा कर 

रेखा जोशी 


Wednesday, 28 September 2016

भगोड़ों ने सिपाही मार डाले रात में आ कर


1222 1222 1222 1222

छुरा  घोंपा  लगाई  आग  नफरत  की  पड़ोसी ने 
निहत्थे   वीर   मारे  वो  शरारत   की  पड़ोसी  ने 
भगोड़ों ने   सिपाही  मार  डाले  रात   में  आ कर 
जमीं  रोयी  गगन रोया जो' हरकत की पड़ोसी ने

रेखा जोशी 

सजा दिये पुष्प मुझ पर

सँवर गया  जीवन  यहाँ
रहा  अब  ठूठ  बन  यहाँ
सजा दिये पुष्प मुझ पर  
महकाते  कण कण यहाँ

रेखा जोशी 

ज्योति सदा जलती रहे माँ शारदे

दीप ज्ञान  का जला   हे  माँ शारदे
ज्योति  सदा जलती रहे माँ शारदे 
फैले  जगत  में उजियारा ज्ञान से
शत शत नमन करें तुझे माँ शारदे

रेखा जोशी 

Tuesday, 27 September 2016

करें इंतज़ार सब हमारे घर लौटने का

परिवार   हमारी   जान   हमें   देता    सहारा 
थामते  सब  अपने  जब जहाँ  करता  किनारा 
करें   इंतज़ार  सब  हमारे  घर  लौटने  का
गले मिल सभी से हमें  सकून मिलता प्यारा

रेखा जोशी

जमीं रोयी गगन रोया जो' हरकत की पड़ोसी ने

पड़ोसी  ने  यहाँ  घोंटा  गला  इंसानियत   का है
किया नापाक उसने  कर्म वह खोटी नियत का है
जमीं रोयी गगन रोया जो' हरकत की पड़ोसी ने
दिया  है  आज  उसने  दर्द  वह  हैवानियत का है

रेखा जोशी 


घूँघट में शरमाये नैना , नैनो में दीदार लिखें

सावन बरसा आँगन मेरे , चलती मस्त बयार लिखें
मिलजुल कर अब रहना सीखें प्यारी इक बौछार लिखें
….
भीगा मेरा तन मन सारा ,भीगी मलमल की चुनरी
घूँघट में  शरमाये नैना ,  नैनो में दीदार लिखें

झूला झूलें मिल कर सखियाँ ,पेड़ों पर है हरियाली
तक धिन नाचें मोरा मनुवा ,है चहुँ ओर बहार लिखें
….
गरजे बदरा धड़के जियरा ,घर आओ सजना मोरे
बीता जाये सावन साजन ,अँगना अपने प्यार लिखें
….
नैना सूनें राह निहारें ,देखूँ पथ कब से तेरा
आजा रे साँवरिया मेरे ,मिल कर नव संसार लिखें

रेखा जोशी

Monday, 26 September 2016

न जाने कब ज़िन्दगी की शाम हो जाये

ज़िन्दगी अपनी यूँही तमाम हो जाये
ख़्वाब न कहीं तेरे नाकाम हो जायें
कर ले यहाँ पूरी सभी हसरते अपनी
न जाने कब ज़िन्दगी की शाम हो जाये
,
चलो ज़िंदगी का अब कर लें दीदार
जी लें हर लम्हा  जीत मिले या हार
आगे आगे हम  पीछे चलती मौत
न जाने कब छोड़ कर चल दें संसार

रेखा जोशी

महालक्ष्मी 'मापनीयुक्त वर्णिक छंद

महालक्ष्मी 'मापनीयुक्त वर्णिक छंद
212 212 212
साथ तेरा मिला जो पिया
आज लागे नहीं  है जिया
पास  आओ  हमारे अभी
काश आ के न जाओ कभी
....
देख के रूप तेरा पिया
चाँद भी आज शर्मा गया
रात को रौशनी है मिली
मीत मै  संग तेरे चली
....
है ख़ुशी आज गाते  रहें
ज़िन्दगी जाम पीते रहें
प्रीत को  तोड़ जाना नही
छोड़ना साथ आता नही

रेखा जोशी

Sunday, 25 September 2016

भूख


एक सुसज्जित भव्य पंडाल में शहर के मशहूर सेठ धनीराम के बेटे की शादी हो रही थी |लड़कियाँ और महिलायें सुन्दर सुन्दर वस्त्रों से सजी और आभूषणों से लदी हुई इधर उधर टहलते हुए एक दूसरे से हंसी मज़ाक कर रही थी | कुछ मनचले लड़के और लडकियाँ फ़िल्मी गानो की धुन पर झूम झूम कर थिरक रहे थे | अपने बेटे की शादी में सेठ जी ने खूब अच्छे से इंतज़ाम कर रखा था ताकि उनके मेहमानों को किसी भी तरह की कोई असुविधा न होने पाये | पंडाल का माहौल बहुत ही दिलकश और खुशनुमा था | नाच गानों की महफ़िल के साथ साथ पंडाल के भीतर अनेकानेक देशी और विदेशी स्वादिष्ट व्यंजनों की महक सब को लुभा रही थी | कहीं शराब का दौर चल रहा था तो कहीं लोग तरह तरह की ड्रिंक्स और गर्मागर्म सूप पी कर लुत्फ़ उठा रहे थे | हर कोई खुश और आनन्दित दिखाई दे रहा था | अपनी अपनी प्लेट में विभिन्न विभिन्न व्यंजन परोस कर शहर के जाने माने लोग उस लज़ीज़ भोजन का आनंद उठा रहे थे |खाना खाने के उपरान्त वहां अलग अलग स्थानों पर रखे बड़े बड़े टबों में वह लोग अपना बचा खुचा जूठा भोजन प्लेट सहित रख रहे थे ,जिसे वहां से सफाई कर्मचारी उठा कर पंडाल के बाहर रख देते थे |पंडाल के बाहर न जाने कहाँ से एक मैले कुचैले फटे हुए चीथड़ों में लिपटी औरत अपनी गोदी में भूख से रोते बिलखते नंग धडंग बच्चे को लेकर एक बड़े से टब के पास आ गई और उस टब में से लोगों की बची खुची जूठन से खाना निकाल कर जल्दी जल्दी खाने लगी और साथ ही साथ अपने भूख से रोते बिलखते हुए बच्चे के मुहं में भी डालने लगी |उसके पास खड़ा एक कुत्ता भी टब में मुहं डाल कर जूठी प्लेटे चाट रहा था |

रेखा जोशी 

मातृ भूमि पर मर मिटे देकर जान


हुये जननी जन्म भूमि पर कुर्बान
भारत पर कर दिये  नौछावर प्राण
भाव विभोर हो शत शत करते नमन
मातृ भूमि पर मर मिटे  देकर जान

रेखा जोशी 

Friday, 23 September 2016

भूल जाओ आज परेशानियाँ तुम


बन के रह गई ज़िन्दगी अफ़साना
न आया तुमको कभी प्यार निभाना
.. 
आया नहीं करना तुम्हे प्यार सजन 
बना दिया तुमने हमको  दीवाना 
... 
देती खामोशियाँ  आवाज़  तुमको 
सुन आवाज़ मेरी  तुम  चले आना 
... 
भूल जाओ आज  परेशानियाँ तुम 
काँधे पे रख सर अपना  सो जाना 
... 
गैर नही हम तो तुम्हारे है सनम 
पराया समझ हमको न भूल जाना

रेखा जोशी  

Thursday, 22 September 2016

नहीं अब जहां में खुशी आज क्यूं है


 नहीं अब जहां में खुशी आज क्यूँ है 
जहर   जिंदगी  ये  बनी आज क्यूँ है 
....
हमे  ज़िन्दगी से गिला है न शिकवा 
मगर  दर्द से यह  भरी आज क्यूँ है 
.... 
बिखर टूट जाये न सोचा न चाहा  
यहाँ ज़िन्दगी रो रही आज क्यूँ है  
... 
पुकारे किसे हम बुलायें किसे अब 
यहाँ रो रही हर कली आज क्यूँ है 
.... 
पिया घूँट हमने ज़हर से भरा अब 
यहाँ  मौत आती नहीं  आज क्यूँ  है 

रेखा जोशी 





क्यों किया हमसे किनारा चल दिए



था  हमे  तेरा  सहारा चल दिए  
तोड़ कर दिल वो हमारा चल दिए 
... 
रूठ  कर हमसे चले हो तुम कहाँ
बहुत हमने तो पुकारा  चल दिए
....
छोड़ तुमको जी न पायें हम कभी
क्यों किया हमसे किनारा चल दिए 
... 
प्यार हमने है किया तुमसे सजन
कर हमें वो बेसहारा चल दिए
....
दर्द तुमसे है मिला हमको सजन
साथ प्यारा था तुम्हारा चल दिए 

रेखा जोशी



हाल ए दिल दिखाते सजन

है   याद  आती   बार बार
दिल  कर  रहा अब  इंतज़ार  
हाल ए दिल दिखाते प्रियतम 
जो  तुम  आ  जाते  एक बार

रेखा जोशी 




Wednesday, 21 September 2016

अमृत सा उसका पानी

मदमस्त 
स्वच्छ निर्मल धारा 
उतरी धरा पर 
भागीरथी 
इठलाती नवयौवना सी 
हिमालय पर्वत से 
लहराती बलखाती 
रवानी जवानी सी 
उफनती जोशीली 
बहती जा रही 
अमृत सा उसका पानी 
जीवनदायनी 
हो गई मैली धारा 
है धर्म हमारा 
इसे रखना पावन 
बहती रहे सदा 
हमारी धरा पर 

रेखा जोशी 

रहता वह साथ मेरे शाम ओ सहर

ख्यालों को मेरे वह महका रहा है
दूर हो कर भी वह पास आ रहा है
रहता वह साथ  मेरे शाम ओ सहर
तन्हाईयों  को  मेरी  सजा  रहा है

रेखा जोशी

हुए जो शहीद उनको करें हम शत शत नमन

भारत पर वह  मर मिटे नौछावर किये  प्राण
देश  की  खातिर  सीमा  पर  वह हुए   कुर्बान
हुए जो शहीद उनको करें हम शत शत नमन
अपने क़दमों के वह छोड़  चले  गये   निशान

रेखा जोशी 

खिले रूप सौन्दर्य [हाइकु ]

इत्र भक्ति का
महकता जगत
मन हर्षाता
......
इत्र लगायें
खिले रूप सौन्दर्य
मन को भाये
........

खिले सुमन 
महकती बगिया 
घर आंगन 
..... 
 मन मंदिर 
पूजा करते हम 
झांके भीतर 

रेखा जोशी 

बेचैन निगाहें

बेचैन निगाहें
जनवरी का सर्द महीना था ,सुबह के दस बज रहे थे और रेलगाड़ी तीव्र गति से चल रही थी वातानुकूल कम्पार्टमेंट होने के कारण ठण्ड का भी कुछ ख़ास असर नही हो रहा था ,दूसरे केबिन से एक करीब दो साल का छोटा सा बच्चा बार बार मेरे पास आ रहा था ,कल रात मुम्बई सेन्ट्रल से हमने हज़रात निजामुदीन के लिए गोलडन टेम्पल मेल गाडी पकड़ी थी ”मै तुम्हे सुबह से फोन लगा रही हूँ तुम उठा क्यों नही रहे ”साथ वाले केबिन से किसी युवती की आवाज़ ,अनान्यास ही मेरे कानो से टकराई,शायद वह उस बच्चे की माँ की आवाज़ थी ,”समझ रहे हो न चार बजे गाडी मथुरा पहुँचे गी ,हाँ पूरे चार बजे तुम स्टेशन पहुँच जाना ,मुझे पता है तुम अभी तक रजाई में ही दुबके बैठे होगे , एक नंबर के आलसी हो तुम इसलिए ही तो फोन नही उठा रहे,बहुत ठण्ड लग रही है तुम्हे ” | वह औरत बार बार अपने पति को उसे मथुरा के स्टेशन पर पूरे चार बजे आने की याद दिला रही थी ,उसकी बातों से ऐसा ही कुछ प्रतीत हो रहा था मुझे | ”हाँ हाँ मुझे पता है तुम्हारा ,पिछली बार तुम चार बजे की जगह पाँच बजे पहुँचे थे ,पूरा एक घंटा इंतज़ार करवाया था मुझे ,इस बार मै तुम्हारा इंतज़ार बिलकुल नही करूँगी , अगर तुम ठीक चार बजे नही पहुँचे तो मै वहाँ से चली जाऊँ गी बस ,फिर ढूँढ़ते रहना मुझे , कहीं भी जाऊँ परन्तु तुम्हे नही मिलूँगी अरे मै अकेली कैसे आऊँ गी ,सामान है मेरे साथ ,गोद में छोटा बच्चा भी है ,आप कैसी बात कर रहे हो | ”ऐसा लग रहा था जैसे उसका पति उसकी बात समझ नही पा रहा हो i उसकी बाते सुनते सुनते और गाड़ी के तेज़ झटकों से कब मेरी आँख लग गई मुझे पता ही नही चला ,आँख खुली तो मथुरा स्टेशन के प्लेटफार्म पर गाड़ी रूकी हुई थी ,घड़ी में समय देखा तो ठीक चार बज रहे थे ,मैने प्लेटफार्म पर नज़र दौड़ाई तो देखा वह औरत बेंच की एक सीट पर गोद में बच्चा लिए बैठी हुई थी और उसकी बगल में दो बड़े बड़े अटैची रखे हुए थे ,लेकिन उसकी बेचैन निगाहें अपने पति को खोज रही थी ,पांच मिनट तक मै उसकी भटकती निगाहों को ही देखती रही ,तभी गाड़ी चल पड़ी और वह औरत धीरे धीरे मेरी नज़रों से ओझल हो गई | मालूम नही उसकी बेचैन निगाहों को चैन मिला या नही , उसका पति उसे लेने पहुँचा या नही ,जो कुछ भी वह फोन पर अपने पति से कह रही थी क्या वह तो सिर्फ कहने भर के लिए था ?
रेखा जोशी

अपने देश की खातिर वह हुये शहीद सीमा पर

रख  हथेली  पर  प्राण  सिपाही तैनात सीमा पर 
अपने देश की खातिर वह  हुये  शहीद  सीमा पर 
छीन लिया जिन्हें हमसे दुश्मन की जालसाज़ी ने 
अपने घर  से बहुत दूर मर मिटे  वीर  सीमा पर 

 रेखा जोशी 

दर्द दिल का अब ज़ुबाँ से नहीं कहा जाता है

बिन तेरे हमसे तो अब नही रहा जाता है 
दर्द दिल का अब ज़ुबाँ से नहीं कहा जाता है 
.... 
या खुदा मेरी उल्फत को तुम जिंदगी दे दे 
गम जुदाई का अब  और नहीं  सहा  जाता है 
...
तडप तडप के गुज़ारी  हमने  हर घड़ी हर पल 
वफा का दीपक अब जल जल के बुझा जाता है 
....
है इंतज़ार और अभी,और अभी और अभी 
पैमाना ऐ सब्र  यहाँ  लब  से छुटा जाता है 
...
रात में यह दिल अब यहाँ तन्हां डूब जाता है 
मायूसियों के आलम में दम घुटा जाता है 
...
रेखा जोशी 

Monday, 19 September 2016

क्षमा करें उसे दिल से

गर गलती हो जाये 
किसी से 
क्षमा करें उसे दिल से 
करें हम भी जीवन में 
अपनी
गलतियों को स्वीकार 
माफ़ करने से 
हम करते खुद पर ही 
उपकार 
आओ मिल कर ज़िंदगी में
हम सबसे करें प्यार

रेखा जोशी 

Sunday, 18 September 2016

कैसी हो गई हमारी सन्तान

माँ बाप को सदा प्यारी  सन्तान
दुनिया  से उनकी न्यारी सन्तान
है   नही  पूछते  कुशल  क्षेम  भी
कैसी   हो   गई  हमारी  सन्तान

रेखा जोशी 

Saturday, 17 September 2016

कुहुकती कोयलिया ,अम्बुआ डार पे


खिला खिला उपवन ,पवन चले शीतल
भँवरे करें गुँजन ,  बगिया  बहार पे
फूलों पर मंडराये तितली चुराये  रँग
कुहुकती कोयलिया ,अम्बुआ  डार  पे
गीत मधुर गा  रही  ,डाली डाली झूम रही 
हौले हौले से चलती मदमस्त   हवा
चूम रही  फूल फूल ,लहर लहर  जाये
है रँगीन छटा छाई ,नज़ारे निखार पे

रेखा जोशी 

हो रही बेकरार अब , ख़ुशी की हर लहर

करते प्यार सजन तुम्हे , खुलते नहीं अधर 
तुमसे मै  कैसे कहें  ,जीना अब  दूभर
....
हाथ पकड़ कर हम चलें ,दोनों संग संग
ज़िन्दगी का सजन  बने ,सुहाना फिर  सफर
....
ज़िन्दगी मिल गई सजन ,हमें मिले जो तुम
हो रही बेकरार अब , ख़ुशी की हर लहर
....
महकती  हर कली कली,खिले  अँगना फूल
बाग़ में भँवर गूँजते,  पँछी उड़े  अम्बर 
..... 
देख लिया  सारा जहाँ मिले न हमको तुम 
छुपे हो सजन तुम कहाँ ,ढूंढी  हर डगर 
.... 
चाहत मेरी तुम सजन , तुम्ही हो ज़िन्दगी 
सब सूना तेरे बिना ,सूना अपना घर 

रेखा जोशी 

Friday, 16 September 2016

मेरा दिल क्या कहता है

बजी  ह्रदय प्रेम   धुन सजन 
सपने   प्रीत  के  बुन  सजन
मेरा   दिल   क्या  कहता  है 
ह्रदय की धड़कन सुन सजन 

रेखा जोशी 

नही अब चाहिये दौलत ज़माने की हमें साजन

1222 1222 1222 1222

शमा जलती रही महफ़िल सजाने आप आयें है
यहाँ अब रात में हमने सजन दीपक जलाये हैं
.... 
चले आये हमारी आज महफ़िल में सनम फिर से
पिया आये हमारे घर सितारे जगमगायें है 
.... 
नही अब चाहिये  दौलत ज़माने की हमें साजन 
मिला जो साथ तेरा प्यार साजन गुनगुनाये है 
.... 
सदा रहना हमारी ज़िन्दगी को आप महका के 
खिला कर फूल आंगन में नज़ारे मुस्कुराये  है 
... 
बहुत ही खूबसूरत है यहाँ पर ज़िन्दगी अपनी 
चले आना सजन मौसम यहाँ हमको  बुलायें है 

रेखा जोशी 

Thursday, 15 September 2016

हमे तो अब ख़ुशी से खिलखिलाना है

सजन मिल आशियाना अब बसाना है
हमें   तो  प्यार  तुमसे  ही  निभाना है 
..... 
नहीं  चाहा कभी  तुम  दूर  हों  हमसे 
बहाना  कर सजन  क्यों  रूठ  जाना है  
.... 
खिली है धूप आंगन में हमारे अब 
सुमन उपवन यहाँ पर अब खिलाना है 
.... 
चलो साजन चलें उस पार हम दोनों 
सजन  दिल  आज दीवाना  हमारा है 
... 
मिली है ज़िन्दगी अब मुस्कुराओ तुम 
हमे तो अब ख़ुशी से खिलखिलाना है 

रेखा जोशी 

जान लो सजन हम तुमसे प्यार करते है

तेरी   चाहत   का   हम   इकरार  करते  है
जान  लो  सजन हम  तुमसे  प्यार करते है
किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
न   जाने   क्यों    तेरा   इंतज़ार   करते  है 

रेखा जोशी 

Wednesday, 14 September 2016

हिंदी गरीब भाषा

विरिष्ठ लेखक सरदार खुशवंत सिंह के अनुसार ”हिन्दी एक गरीब भाषा है ”| सही ही तो कहा है उन्होंने,हिंदी सचमुच गरीबों की ही भाषा है,यह सोच कर सुधीर बहुत दुखी था ,सरकारी स्कूल और सरकारी कालेज से शिक्षा प्राप्त करने के बाद सुधीर ने कई कम्पनियों में इंटरव्यू दिए पर असफलता ही हाथ लगी ,ऐसा नही था की वह बुद्धिमान नही था ,याँ वह वह होनहार नही था ,वह बहुत प्रतिभाशाली था लेकिन अंग्रेज़ी भाषा को ले कर उसका आत्मविश्वास बुरी तरह से आहत हो चुका था ,डगमगा चुका था ,हिंदी भाषी संस्थानों से पढाई करने के बाद जब उसने बाहरी दुनिया में कदम रखा तो अंग्रेजी भाषा में संवाद स्थापित करने में असमर्थ सुधीर हीन भावना का शिकार होने लगा|

 सुधीर ही क्यों हमारे देश में आधी से ज्यादा जनसंख्या हिंदी भाषी है एवं हिंदी भाषी विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करती है और वह सभी लोग अंगेजी बोलने वालो के सामने अपने को तुच्छ और हीन समझने लगते है वह इसलिए क्योंकि हिंदी भाषा को हेय दृष्टि से देखा जाता है ,हिंदी के प्रति यह सौतेला व्यवहार ,आखिर क्यों ,जो हिंदी बोलते है उन्हें क्यों गंवार समझा जाता है और जो अंग्रेजी में प्रतिभाशाली करते है उन्हें इज्ज़त से देखा जाता है जबकि हिंदी हमारे भारत की राज भाषा है हमारी अपनी मातृ भाषा है ,परन्तु आज हिंदी गरीबों और अनपढ़ों की भाषा बनकर रह गई है ,केवल अंग्रेजी ही पढ़े लिखों की भाषा मानी जाती है | 

इन सारी बातों ने सुधीर को झकझोर कर रख दिया था ,आज़ादी मिलने के छ्यासठ वर्ष बाद भी हम आज तक अंग्रेजी के गुलाम बने हुए है ,कब तक सुधीर जैसे अनेक नौजवान अपने ही देश हिन्दुस्तान में हिंदी की वजह से पिछड़े हुए कहलाते रहें गे | यह इस देश का दुर्भाग्य है कि किसी सरकारी स्कूल के विद्यार्थी और पब्लिक ,प्राइवेट और अन्य अंग्रेजी भाषी स्कूल के विद्यार्थी का एक जैसा पाठ्यक्रम होने पर भी हिंदी भाषी सरकारी स्कूल के छात्र अंग्रेजी भाषी स्कूल के छात्रों से सदा पिछड़े हुए रहते है ,इसी कारण अब मध्यमवर्गीय परिवार के लोग तो क्या निर्धन परिवारों के लोग भी अंग्रेज़ी भाषी स्कूलों में अपने बच्चो को शिक्षित करना चाहते है ,चाहे उन्हें उसके लिए अपना पेट काट कर क्यों न रहना पड़े | हमारे भारत की तीन चौथाई जनसंख्या गाँवों में रहती है जहां या तो स्कूल न के बराबर होते है अगर है तो सिर्फ हिंदी भाषी जिनका अंग्रेजी भाषा से दूर दूर तक कोई सरोकार नही होता ,ऐसे में आज के नौजवान, युवा वर्ग इस देश की भविष्य नीधि जब अंग्रेज़ी भाषा के सामने हीन भावना से ग्रस्त रहेगी तो इस देश के भविष्य का क्या होगा ?

रेखा जोशी 

आने से तेरे बगिया खिलखिलाने लगी

बरसों  से थी तेरी  वह  इंतज़ार तुम हो
मेरी ज़िन्दगी में लाई वह प्यार तुम हो
आने से तेरे बगिया  खिलखिलाने लगी
मेरे अँगना को महकाती   बहार तुम हो

रेखा जोशी

Tuesday, 13 September 2016

हिंदी ब्लागिंग [हिंदी दिवस पर ]

हिंदी ब्लागिंग [हिंदी दिवस पर ]

अंग्रेजी में स्नातक होने पर भी मनु ने हिंदी में ब्लॉग लिखने शुरू कर दिए ,वह इसलिए कि हिंदी हमारी अपनी मातृ भाषा है और इस कारण हम अपने विचारों को बहुत ही सुगमता से अभिव्यक्त कर सकते है ,यह विचार ही हैं जो समाज को प्रभावित कर उसे एक नई  दिशा दे सकते है । हिंदी भाषा ही एक ऐसी भाषा है जो भारतवासियों  को आपस  में जोड़ सकती है ।अपने  विचारों को मनु हिंदी में समाजिक सरोकार से जुड़े हुए विषयों पर ब्लॉग लिख  कर इंटरनेट से  विभिन्न मंचों  पर पोस्ट करने लगा । जैसा कि हम सब जानते है, आजकल इंटरनेट का जमाना है ,जिसने पूरी दुनिया की दूरियों को नजदीकियों में बदल दिया है । पूरे विश्व में दूर दराज़ बैठे हुए लोगों से क्षण भर में ही संपर्क स्थापित किया जा सकता है ,एक दूसरे के विचारों का आदान प्रदान भी किया जा सकता है ।
मनु के ब्लॉग'स को केवल भारत में ही नही दुनिया के कई देशों में भी पढ़ा और सराहा जाने लगा है  ,उसकी पोस्ट पर कभी अमरीका से कमेंट्स आते है तो कभी रूस से यां जर्मनी से ,कनाडा ,अबूधाबी,पोलैंड ,स्वीडन सारे के सारे देश सिमट कर  मनु के ब्लाग्स की साईट पर आ गए | उनकी प्रतिक्रियाएं पढ़ कर मनु के चेहरे पर चमक आ जाती है ,हिंदी भाषा में लिखे गए ब्लॉगस को केवल भारत में नही पूरी दुनिया में पसंद किया जा रहा है| इंटरनेट ,फेस बुक,गूगल के इस नव  दौर में हिंदी, भारत के जनमानस की भाषा ,न केवल दुनिया भर में लोकप्रिय हो रही है  बल्कि  दिन प्रति दिन  इसका रूप निखर कर आ रहा है |एक तरफ तो हिंदी भाषा में ब्लागिंग सुनहरे भविष्य की ओर अग्रसर हो रही है और दूसरी तरफ हमारे भारतीय संस्कृति भी दुनिया भर में लोकप्रिय हो रही है |
जहाँ हिंदी भाषा ही लुप्त हो रही थी वहीँ अब हिंदी साहित्य में लुप्त हो रही काव्य  छंद विधा नव परिवर्तनों के आज के इस दौर में फिर से उभर कर आ रही है ,हिंदी साहित्य में रूचि  रखने वाले न केवल इस विद्या के रस का आनंद उठा रहे है बल्कि इसे जी जान से सीखने का भरसक प्रयास भी कर रहें है |आजकल मनु  जैसे हजारों ,लाखों ब्लागर्स  हिंदी में ब्लागिंग कर रहे है | कई ब्लागर्स  ब्लागिंग से अपनी हाबी के साथ साथ आर्थिक रूप से भी सम्पन्न भी हो रहे है | आज मनु को अपने फैसले पर गर्व है कि उसने बदलते हुए इस नयें दौर में अपने विचारों कि अभिव्यक्ति के लिए हिंदी ब्लागिंग को चुना | इसमें कोई दो राय नही है कि नव परिवर्तनों के इस  दौर में एवं आने वाले समय में हिंदी ब्लागिंग का भविष्य उज्जवल है |

रेखा जोशी 

मिलाया हम सभी को कुदरत ने

है  वाकिफ  हम तेरी फितरत से
मत बोना कभी  बीज नफरत के
नहीं  चाहते  हम  तुम को  खोना
मिलाया हम सभी  को कुदरत ने
.....
सदा प्रीत अपने दिल से निभाना
धोखा नही  कभी  प्यार  में खाना
चलो  इक  दूजे  में  खो जाये  हम
है  इक  दूजे  को  अब  हमे  पाना
....
रेखा जोशी

Monday, 12 September 2016

सुन आज प्यार की धुन

छंद  ईश
112 121 22

यह ज़िन्दगी हमारी 
हमने   यहाँ  सँवारी  
थमना नहीं कभी तुम 
चलते   रहे सदा  हम 
.... 
सपने   यहाँ   कभी  बुन 
सुन आज प्यार की धुन 
मनमीत     पास    तेरा 
मत  छोड़  साथ    मेरा  

रेखा जोशी 






Saturday, 10 September 2016

रधिया -एक बेटी

आंध्रप्रदेश में एक छोटा सा गाँव अनंतपुर ,गरीबी रेखा के नीचे रहते कई किसान भाई ,जिनका जीवन सदा उनके खेत और उसमे लहलहाती फसलों के इर्द गिर्द ही घूमता रहता है ,आज शोक में पूरी तरह डूबा हुआ है ,पता नही किसकी नजर लग गई जो आज सुबह घीसू भाई , शहर में किसी के साथ अपनी जवान बेटी रधिया को बेचने का सौदा कर के आया है , सुबह से किसी के पेट में खाने का एक निवाला तक नही गया ,क्योकि वहां कई घरों में चूल्हा ही नही जला , सवेरे से ही रधिया और उसकी छोटी बहन रमिया ने अपने आप को पीछे की छोटी कोठरी में बंद कर रखा हुआ है । घीसू की पत्नी गुलाबो का तो रो रो कर बुरा हाल हो गया ,''क्या इसी दिन के लिए उसने अपनी जान से भी प्यारी बेटी को पाल पोस कर बड़ा किया था ,चंद नोटों के बदले अपने ही जिस्म के टुकड़े को बेचने के लिए ,नही नही ,वह मर जाए गी पर ऐसा  अनर्थ नही होने देगी ,वह अपनी रधिया को कभी भी अपने से दूर नही जाने देगी ,हे भगवान अब केवल तेरा ही आसरा है ,किसी भी तरह से इस अनहोनी को होने से रोक लो ,''यह सब सोच सोच कर गुलाबो का दिल बैठा जा रहा था |

उधर घीसू के दिल का हाल शायद ही कोई समझ पाता,उपर से पत्थर बने बुत की भांति अपना सर हाथों में थामे ,घर के बाहर एक टूटी सी चारपाई पर वह निर्जीव सा पड़ा हुआ था ,लेकिन उसके भीतर सीने में जहाँ दिल धडकता रहता है ,उसमे एक ज़ोरदार तूफ़ान ,एक ऐसी सुनामी आ चुकी थी जिसमें उसे अपना  घर बाहर सब कुछ बहता दिखाई दे रहा था ,''कोई उसे क्यों नही समझने की कोशिश करता ,अपने बच्चे को क्यों कोई  बेचे गा ,मै उसका बाप आज कितना मजबूर हो गया हूँ  जो अपने कलेजे के टुकड़े को ,कैसे अपने दिल पर पत्थर रख कर उसे सिर्फ पैसे के लिए अपने से दूर इस अंधी दुनिया में धकेल रहा हूँ ,पता नही उसकी किस्मत में क्या लिखा है परन्तु वह कर भी क्या सकता है ,आज उसके खेतों ने भी उसका साथ नही दिया ,फसल ही नही हुई ,लेकिन उसके सर पर सवार  क़र्ज़ की मोटी रकम कैसे चुकता हो पाए गी ,उपर से भुखमरी ,घर गृहस्थी का बोझ ,जी तो करता है कि जग्गू की तरह नहर में कूद कर अपनी जान ही दे दूँ ,लेकिन गुलाबो और रमिया कि खातिर वह ऐसा भी तो नही कर सकता ,जग्गू के परिवार का उसके मरने के बाद हुई दुर्गति से वह भली भाँती  परिचित था ''|आज घीसू अपने आप को बहुत असहाय ,बेबसऔर निर्बल महसूस कर रहा था ,उसकी आँखों के आगे बार बार भोली भाली रधिया का चेहरा घूम रहा था और दिल में उठ रही सुनामी आँखों से अश्रुधारा बन फूट पड़ी ,''काश कोई रधिया को मुझ से बचा ले ,''फूट फूट कर रो उठ घीसू |

रधिया ,जो गरीबी की सूली पर चढ़ चुकी थी , अपने पिता की बेबसी को बखूबी समझ चुकी थी , खामोश सी ,अपनी आँखे बंद कर उस घड़ी का इंतज़ार कर रही थी ,जब किस्मत के बेरहम हाथ उसे उठा कर ,अपनों से दूर किसी अनजानी दुनिया में पटक देंगे ,लेकिन  अनचाहे विचार उसके मानस पटल पर उमड़ते हुए उसे व्यथित कर रहे थे ,''कब तक हम लड़कियों को अपने परिवार की खातिर बलि देते रहना होगा ,मेरे बापू ने तो जी तोड़ मेहनत की थी ,जग्गू चाचा का क्या कसूर था जो उन्हें आत्महत्या करनी पड़ी  | कभी सोने की चिड़िया कहलाने वाला  हमारा भारत देश , जिसकी  सोंधी सी महक लिए माटी में सदा लहलहाते  रहे है ,हरे भरे खेत खलिहान,किसानो के इस देश में ,उनके साथ  आज क्या हो रहा है ?  उनके सुलगते दिलों से निकलती चीखे कोई क्यों नही सुन पा रहा ,संवेदनहीन हो चुके है लोग यां सबकी अंतरात्मा मर चुकी है ,इस देश को चलाने वाली सरकार भी शायद बहरी हो चुकी है ,भारत के किसान अपनी अनथक मेहनत से दूसरों के पेट तो भरते आ रहें है ,लेकिन वह आज अपनी  ही जिंदगी का बोझ स्वयम नही ढो पा रहे और अब हालात यह हो गए है की वह  यां तो आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहें है यां उनकी, मेरी जैसी अनगिनत बेटियाँ अपने ससुराल न जा कर ,अपनों के ही  हाथों एक अनजानी ,निर्मम और अँधेरी दुनिया में पैसों की खातिर धकेल दी जाती है |'' तभी शहर से आई एक लम्बी सी गाड़ी घीसू के घर के सामने आ कर रुक गई और घीसू ने अपने घर की प्यारी सी अधखिली कली, रधिया को गाड़ी में बिठा कर,उसे किसी अंधी गली में भटकने के लिए ,सदा सदा के लिए विदा कर दिया |

Friday, 9 September 2016

आँखों से छलकता तेरे प्यार है

आँखों  से छलकता तेरे  प्यार है 
लब से करते फिर कैसे  इन्कार है 
... 
महक प्यार की ढूंढते यहां वहां 
अब तो ज़िन्दगी हमसे बेज़ार है 
... 
आई अंगना धूप  खिली खिली सी
हमें  तुम्हारा  कब  से इंतज़ार  है
...
खोये रहते तेरी यादों में हम
करेंगे प्यार तुमसे बेशुमार है 
....
खूबसूरत नज़ारे तुम्हे पुकारे
बगिया छाई अब  फिर से बहार  है

रेखा जोशी 

बच्चो की राह तकते नयन हुये मजबूर

पैसे  का  अपनी  आँखों  में  लिये  गरूर
रोज़ी  रोटी  की   खातिर  चले   गये  दूर
छोड़ गये  वह  माँ  बाप को अकेले यहाँ
बच्चो  की राह तकते नयन हुये मजबूर

रेखा जोशी 

है झण्डा ऊँचा सीमा पर

जब बलिदान किया जाता है 
तब अभिमान किया जाता है 
... 
है मर मिटते जो सरहद पर  
तब  सम्मान किया जाता है 
... 
घर से कोसों दूर सिपाही 
उनका मान    किया जाता है 
... 
है  झण्डा   ऊँचा  सीमा पर 
भारत  गान  किया जाता है 

जय जय जय हे भारत तेरा 
अब यशगान किया जाता है 

रेखा जोशी 



Thursday, 8 September 2016

कहाँ छुपे हो सजन हमारे

चलो सजन प्यार अब पुकारे 
मिले  जहाँ  चाँद सँग सितारे 
धड़क रहा प्यार में जिया यह 
कहाँ  छुपे  हो  सजन   हमारे 

रेखा जोशी 

पुष्पित वन

बगिया खिली
नाचती तितलियाँ
रंग बिरंगी
....
पुष्पित वन
मंडराती तितली
चुराती रंग

रेखा जोशी

 


बरसने लगे आज स्वर्ग में अंगारे

चलने  को  तैयार  खड़े  है  ये शिकारे
है सुन्दर नज़ारे डल  झील के किनारे
पाक के नापाक इरादों की लगी नज़र
बरसने  लगे  आज   स्वर्ग  में  अंगारे

रेखा जोशी 

Wednesday, 7 September 2016

छेड़ कर तराने प्रीत की धुन पर


आवाज़ देकर मनमीत बुलाता
हवा में  मधुर   संगीत लहराता
छेड़ कर तराने प्रीत की धुन पर
कोई  पार  नदी  के  गीत गाता

रेखा जोशी 

पेट की आग में यहाँ जल रहे कई

भूख के लिये  भटकाती है रोटियाँ
मंज़र  कैसे  दिखलाती  है रोटियाँ
पेट की आग में यहाँ जल रहे  कई
जाने क्या क्या करवाती है रोटियाँ

रेखा जोशी 

Tuesday, 6 September 2016

दिल को थाम लो यारो तारों भरी शाम आई है

ऊँचे ऊँचे पेड़ों पर शब ने ली अंगड़ाई है,
दिल को थाम लो यारो  तारों भरी शाम आई है |
 ...
है छन छन के आती  झुरमुट पेड़ों  से रौशनी
देख  हमें  आज तो  यहाँ  रौशनी  भी  शरमाई है
.... 
बस आ जाओ तुम इस दिल को पहचानो सनम मेरे, 
सागर  की   लहरों  सी   गहराई  दिल  में  समाई  है । 
...
हमने माना  आपकी  महफ़िल है बहुत  खूबसूरत
मस्ती के आलम में शहनाई ह्रदय  ने बजाई है। 
...
इक परछाई है वहाँ पर मत जाना उधर तुम सजन 
धोखा हर  पल  दे  की  उसने  हम से   बेवफाई है । 
...
अच्छा तो सनम हम चलते है जाने की घड़ी आई  ,
मत रोना जाने मन तुम पल दो पल की जुदाई है ।
रेखा जोशी 

मोह माया के बंधन को तोड़ जाना इक दिन

बहुत सोये जीवन भर अब तो जाओ तुम जाग
जीवन अपना  ऐसे   जियो   लगे  न कोई दाग
मोह माया  के बंधन को  तोड़  जाना   इक दिन
करते  रहना  सतकर्म  तुम ह्रदय में धर विराग

रेखा जोशी 

चलती प्रीति प्रेम से ज़िन्दगी सजन

है  लुभाती  प्यार में   सादगी सजन
प्यार से  कर ले यहाँ बन्दगी सजन
अपना ले सबको  प्यार अनुराग  से
चलती प्रीति प्रेम से ज़िन्दगी सजन
रेखा जोशी


प्यार के साज़ पर मधुर धुन बजाने दो यारो

गीत आज फिर नया अब गुनगुनाने दो यारो
ज़िन्दगी को  फिर से अब  मुस्कुराने दो यारो
मिटा दो  दिल से अपने  तुम वह यादें पुरानी
प्यार  के  साज़ पर मधुर धुन बजाने दो यारो
रेखा जोशी 

धोखा और फरेब


धोखा और फरेब  
थी फितरत उसकी 
देख चेहरा भोला 
मीत उसे अपना बनाया 
हाल अपने दिल का उसे बताया 
निकाला जनाजा 
मेरी वफ़ा का उसने 
नही पहचान पाया
बन दोस्त वह 
दुश्मन सा सामने आया 
भगवान बचाये 
ऐसे दोस्तों से 
जो रंग बदलते गिरगिट सा 

रेखा जोशी 



Monday, 5 September 2016

प्रीत भगवन आप को भी तो निभाना चाहिए

शीश अपना ईश के आगे झुकाना चाहिए 
साथ  मिलकर हर किसी को गीत  गाना चाहिए 
.... 
पीर हरता हर किसी की ज़िंदगी में वह सदा 
नाम सुख में भी हमें तो याद आना चाहिए 
..... 
पा लिया संसार सारा नाम जिसने भी जपा 
दीप भगवन नेह का मन में जलाना चाहिए 
..... 
गीत गायें प्रेम से दिन रात भगवन हम यहाँ 
प्रीत भगवन आप को भी तो निभाना चाहिए 
.... 
हाथ अपने जोड़ कर हम माँगते तुमसे दया 
प्रभु कृपा करना हमें  अपना बनाना  चाहिए 

 रेखा जोशी 

”गुड मार्निंग टीचर”[पूर्व प्रकाशित रचना ]

सुबह हर रोज़ की तरह भाग दौड़ से ही शुरुआत हुई ,पिंकी के लिए नाश्ता बनाया ,इतने में ही सात बज गये ,जल्दी से पिंकी को नहला धुला कर भारती ने उसे स्कूल के लिए तैयार किया और उसके भारीभरकम बैग को काँधे पर लाद कर उसे स्कूल बस पर चढ़ाने घर से निकल पड़ी ,इतने में एक सुंदर महिला ,सलीके से साड़ी में लिपटी हुई पल्लू को काँधे पर अच्छे से टक किया हुआ ,सामने से आती हुई दिखाई पड़ी |उसे देखते ही ,बस का इंतज़ार करते हुए बच्चों ने ,”गुड मार्निंग ,टीचर ”कह कर उसका अभिवादन किया और उसने भी एक खिली हुई मुस्कुराहट के साथ बोला ,”गुड मार्निंग चिल्ड्रेन ”|इतने में बस आगई,और सब स्कूल के लिए निकल पड़े |
पिंकी को बस में चढ़ाने के बाद ,भारती घर की ओर चल पड़ी ,रास्ते भर ,वह ताने बाने बुनती रही ,सदियों से चली आ रही गुरुकुल प्रणाली हमारे समाज का एक विभिन्न अंग रही है और गुरु को हमारी संस्कृति में सर्वोच्च स्थान दिया गया है ,यहाँ तक कि राजे महाराजे भी गुरु के आगे सदैव शीश झुकाते रहें है | गुरु भी ऐसे थे जो निस्वार्थ भाव से अपने शिष्यों को विद्या का दान देते थे |शांत वनों के वातावरण में ऋषियों की देख रेख में ,बालक अपनी शिक्षा ग्रहण किया करते थे |गुरु द्रोणाचार्य ,चाणक्य जैसे गुरुओं का बस एक ही उदेश्य हुआ करता था अपने शिष्यों का भविष्य ,उन्हें पूर्ण रूप से प्रशिक्षित करना |समय के साथ शिक्षा का स्वरूप बदला, ,गुरु बदले और शिष्य भी बदले |
आज सरकारी स्कूलों में पढाई को ले कर अनगिनत सवाल है ,क्या सरकारी स्कूलों के अध्यापक पूर्ण निष्ठां से पढाते है? शर्म की बात है कि कई स्कूलों में बच्चों से कई टीचर अपने निजी कार्य करवाते है और पढाने के नाम पर सिर्फ खानापूरी करते है |कई बार तो बच्चों की भावनाओं को ताक पर रख कर उन्हें कठोर से कठोर दंड देने में भी नहीं हिचकचाते |अभी हाल ही में भारती की मुलाक़ात एक छोटी सी बच्ची की माँ से हुई जो एक टीचर के व्यवहार से बहुत परेशान थी ,कक्षा में उस छोटी सी बच्ची को बार बार डांटना और मारना ,उस नन्ही सी बच्ची पर अनावश्यक दबाव ने उसे इतना भयभीत कर दिया था कि वह स्कूल जाने से कतराने लगी,अब ऐसी शिक्षिका के बारे में क्या कहा जाए? सोचते सोचते कब घर आगया पता ही नहीं चला ,आते ही भारती काम में जुट गई ,दूसरे कमरे से टी वी की आवाज़ कानो में पड़ रही थी ,”एक नौवीं कक्षा की छात्रा दूवारा आत्महत्या ,सन्न रह गई भारती , क्या इसके लिए शिक्षक उतरदायी नहीं है ?
अगली सुबह फिर वही दिनचर्या ,पिंकी की ऊँगली पकड़ उसे बस में चढाने निकल पड़ी ,बस का इंतज़ार कर रहे बच्चे अपनी शिक्षिका के साथ खड़े थे ,तभी एक नन्ही , प्यारी सी बच्ची ,हाथ में गुलाब का फूल अपनी टीचर को देती हुई बोली ,”गुड मार्निंग टीचर ” |मै एक बार फिर सोच में पड़ गई,क्या यह सच में इस प्यारी सी गुड मार्निंग के योग्य है ??
रेखा जोशी

Sunday, 4 September 2016

लाग लपेट से आता नहीं कुछ भी कहना

बुरा  भला  कुछ भी  चाहे  हो  शर्मनाक वह
बात  ह्रदय  की  सदा  कह  देते  बेबाक  वह
लाग  लपेट से  आता  नहीं कुछ भी  कहना
है दिल के साफ़   पर  रखते  ऊँची नाक वह

रेखा जोशी

Friday, 2 September 2016

नीले नभ पर मचलें किरणे ,अम्बर निखरा रंगा लाल

सूरज निकला पुष्पित उपवन, तितली उड़ती नाचे मोर
सुन्दर मौसम चिड़िया चहकी , उड़ते पंछी आई भोर
नीले नभ पर मचलें किरणे ,अम्बर निखरा रंगा लाल
फैला उजियारा दुनिया में , जागो पंछी करते शोर

रेखा जोशी

हम जटायु को करते शत शत प्रणाम

मत करना तुम गिद्ध का नाम बदनाम
दिये   उसने   राम    का  नाम ले  प्राण
सीता   के  लिये   वह   भिड़ा  रावण से
हम  जटायु को  करते शत शत प्रणाम

रेखा जोशी 

Thursday, 1 September 2016

फिरते है इस जहाँ में दीन दुखी मारे मारे

क्या  रोशन  करेंगे धरती को  चाँद और तारे 
फिरते  है  इस  जहाँ में  दीन  दुखी मारे मारे 
है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए 
गले अपने  लगा कर दे दो तुम उनको  सहारे 

रेखा जोशी