करते प्यार सजन तुम्हे , खुलते नहीं अधर
तुमसे मै कैसे कहें ,जीना अब दूभर
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हाथ पकड़ कर हम चलें ,दोनों संग संग
ज़िन्दगी का सजन बने ,सुहाना फिर सफर
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ज़िन्दगी मिल गई सजन ,हमें मिले जो तुम
हो रही बेकरार अब , ख़ुशी की हर लहर
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महकती हर कली कली,खिले अँगना फूल
बाग़ में भँवर गूँजते, पँछी उड़े अम्बर
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देख लिया सारा जहाँ मिले न हमको तुम
छुपे हो सजन तुम कहाँ ,ढूंढी हर डगर
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चाहत मेरी तुम सजन , तुम्ही हो ज़िन्दगी
सब सूना तेरे बिना ,सूना अपना घर
रेखा जोशी
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