Saturday, 17 September 2016

हो रही बेकरार अब , ख़ुशी की हर लहर

करते प्यार सजन तुम्हे , खुलते नहीं अधर 
तुमसे मै  कैसे कहें  ,जीना अब  दूभर
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हाथ पकड़ कर हम चलें ,दोनों संग संग
ज़िन्दगी का सजन  बने ,सुहाना फिर  सफर
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ज़िन्दगी मिल गई सजन ,हमें मिले जो तुम
हो रही बेकरार अब , ख़ुशी की हर लहर
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महकती  हर कली कली,खिले  अँगना फूल
बाग़ में भँवर गूँजते,  पँछी उड़े  अम्बर 
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देख लिया  सारा जहाँ मिले न हमको तुम 
छुपे हो सजन तुम कहाँ ,ढूंढी  हर डगर 
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चाहत मेरी तुम सजन , तुम्ही हो ज़िन्दगी 
सब सूना तेरे बिना ,सूना अपना घर 

रेखा जोशी 

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