Friday, 16 September 2016

नही अब चाहिये दौलत ज़माने की हमें साजन

1222 1222 1222 1222

शमा जलती रही महफ़िल सजाने आप आयें है
यहाँ अब रात में हमने सजन दीपक जलाये हैं
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चले आये हमारी आज महफ़िल में सनम फिर से
पिया आये हमारे घर सितारे जगमगायें है 
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नही अब चाहिये  दौलत ज़माने की हमें साजन 
मिला जो साथ तेरा प्यार साजन गुनगुनाये है 
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सदा रहना हमारी ज़िन्दगी को आप महका के 
खिला कर फूल आंगन में नज़ारे मुस्कुराये  है 
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बहुत ही खूबसूरत है यहाँ पर ज़िन्दगी अपनी 
चले आना सजन मौसम यहाँ हमको  बुलायें है 

रेखा जोशी 

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